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________________ ताला - श्रीजैनशान-गुणसंग्रह 3 खेतीबारीकी जमीन एकड या रीघा 4 कुल मकानात 5 चांदी मण या सेर या तोला 6 सोना सेर अथवा 7 धातु के वर्तन नंग अथवा मण के 8 दास-दासियां कुल 9 चतुपष्द-जानवर कुल 10 सर्व परिग्रह मिल कर रु. लाख या हजार __ परिग्रह परिमाण व्रत धारियों को चाहिये कि अपने व्रत धन, धान्यादिका जो परिमाण किया हो उसके ऊपर परिग्रह बढ जाय तो उस को धर्म मार्ग में खर्च कर डागें। . व्यापार के निमित्त तेजी मंदी के समय में सोना, चांदी, धातु, धान्य आदि बेच खरीद कर परिग्रह की जातियोंमें कमी बेशी करना पडे उस की जयणा रखना चाहिये परन्तु कुल परिग्रह का अंक नियम के उपर जाते ही उसे धर्म मार्ग में खर्च कर देना चाहिये। ____ इस प्रकार पांच अणुव्रतोंका दिग्दर्शन कराया, अणुव्रतों के आगे तीन गुणव्रत आते हैं जिन के नाम नीचे मुजब है__.१ दिक्परिमाण गुणव्रत 2 भोगोपभोगपरिमाण गुणव्रत और 3 अनर्थदंडविरमण गुणवत। इन का गुणवत नाम पडने का कारण यह है कि इन
SR No.004391
Book TitleJain Gyan Gun Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaubhagyavijay
PublisherKavishastra Sangraha Samiti
Publication Year1936
Total Pages524
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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