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________________ 40 3 श्रावक-द्वादश व्रत - (5) कुलिंगिसंस्तव-मिथ्यामतावलंबी साधु अथवा गुणहीन वेशधारी का परिचय करना / अपवाद (1) रायाभियोगेणं-राजा के हुकम से कभी समकितधारी को अपने नियमविरुद्ध कार्य करना पडे तो उसमें समकित का भंग नहीं होता। (2) गणाभियोगेणं-न्याति जाति के समुदाय के कहने से कोई कार्य करना पडे तो उस में समकित का भंग नहीं होता। (3) बलाभियोगेणं-बलवान् चोर म्लेच्छादिक के पंजे में फंसा हुआ नियमविरुद्ध कार्य करे तो सम्यक्त्व भंग नहीं होता। (4) देवाभियोगेणं-भूत प्रेतादिक की परवशता से वजित कार्य करे तो भंग नहीं होता। (5) गुरुनिग्गहेणं-माता पिता अथवा गुरु के कहने से वर्जित कार्य करना पड़े तो भंग नहीं होता। (6) वित्तिकंतारेणं-आजीविका के लिये कोई वर्जित काम धंधा करना पड़े तो भंग नहीं होता। आगार___ (1) अन्नत्थणामोगेगं-उपयोग विना कोई वर्जित कार्य हो जाय तो भंग नहीं। (2) सहसागारेणं-अकस्मात् यकायक वर्जित कार्य हो जाय तो भंग नहीं।
SR No.004391
Book TitleJain Gyan Gun Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaubhagyavijay
PublisherKavishastra Sangraha Samiti
Publication Year1936
Total Pages524
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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