________________ पोरिमा और नमुत्भारपोरिसी .. श्रीजैनज्ञान-गुणसंग्रह 487 पोरिसी राइयसंथारए ठामि' 'इच्छं' कह चउक्कसाय का चैत्यवन्दन और नमुत्थुणं से जयवीयरायपर्यन्त विधि करे, फिर खमा० इच्छा० 'संथारापोरिसी विधि भणाववा मुहपत्ति पडिलेहुं ?' 'इच्छं' कह मुहपत्ति पडिलेहण करे, पीछे "निसीहि निसीहि निसीहि नमो खमासमणाणं गोयमाईणं महामुणीणं" यह पाठ, एक नवकार और करेमि भन्ते बोले, इस प्रकार इस पाठ को एक नवकार, तथा करेमिभन्ते के साथ तीन वार वोलकर फिर नीचे का पोरिसी पाठ पढे "अणुजाणह जिट्ठजा-अणुजाणहं परमगुरू, गुरुगुणरयणेहि मण्डियसरीरा / बहुपडिपुना पोरिसी, राइअसंथारए ठामि // 1 // अणुजाणह संथारं, बाहुवहाणेण, वामपासेणं / कुक्कुडिपायपसारण, अतरंत पमज्जए भूमि // 2 // संकोइअसंडासा, उव्वदृते य कायपडिलेहा / दव्वाइउवओगं, ऊसासनिरुम्भणालोए // 3 // जइ मे हुज पमाओ, इमस्स देहस्सिमाइ रयणीए / आहारमुवहिदेहं, सव्वं तिविहेण वोसिरिअं // 4 // चत्तारि मंगलं-अरिहन्ता मङ्गलं, सिद्धा मङ्गलं, . साहू मङ्गलं, केवलिपण्णत्तो धम्मो मङ्गलम् // 5 // चत्तारि लोगुत्तमा-अरिहन्ता लोगुत्तमा, सिद्धा लोगुत्तमा, साहू लोगुत्तमा, केवलिपण्णत्तो धम्मो लोगुत्तमो // 6 //