________________ 442 श्री गोलनगरीय-पार्श्वनाथप्रतिष्टा-प्रबन्ध एकतान से देख-सुन रही थी। हजारों की मानवसंख्या होने पर भी सिवा गाने के और कोई आवाज वहां नहीं थी। ठीक उसी समय पश्चिम दिशा में एकायक मेघगर्जना सुनाई दी। थोडी सी आंधी के साथ बादलों की घटा भी ऊपर चढती हुई देखने में आयी और बिजली ने भी अपनी चमक से लोगों को चमका दिया। शान्त सभा एकदम क्षुब्ध हो गयी। उत्पातों की भविष्य वाणी के स्मरण से लोगों में भगदड मच गयी / परन्तु कुदरत की भी बलिहारी है ! लोग सभा से पूरे उठने भी न पाये थे कि वर्षाद की घटा दो दो चार चार छींटे डालती हुई ऊपर होकर चली गयी। यद्यपि वहां से दश पंदरह कोश पर इस मेघराज ने काफी जल वर्षाया और वायु देव ने भी अपना अच्छा बल आजमाया, परन्तु गोलनगर में कहने मात्र को छींटे डालने के उपरान्त कुछ भी उत्पात नहीं किया और आंधी तो आकाश में ही देखी गयी सो सही, जमीन पर उसकी खबर तक नहीं पडी। यह गड़बड करीब 8-10 मिनटों में ही बन्द हो गयी और लोगों ने कहा कि 'लो इन्द्र महाराज भी पधार गये।' 34 प्रतिष्ठा के दिन की जनसंख्या दश दिनों से गोलनगर में हजारों मनुष्यों का खासा मैला लगा हुआ था और वह दिन दिन वृद्धिंगत होता जाता