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________________ 430 श्री गोलनगरोय-पार्श्वनाथप्रतिष्ठा-प्रबन्ध उपदेश किया, पंचों ने महाराज का उपदेश शिरोधार्य किया . और दूसरे दिन प्रभातसमय कुंकुमपत्री लिख कर कोटवालंजी को दे दी, शाम को श्रीधरणीन्द्रसूरिजी भी सह परिवार गोल पधार गये और श्रावक संघने सत्कारपूर्वक नगर में ले जा कर तपागच्छ के उपाश्रय में मुकाम करवाया। श्रीपूज्य महोदय नवयुवान होते हुए भी शिक्षित और शान्तप्रकृति के सज्जन हैं। आपं प्रतिष्ठा-संबन्धी क्रियाविधान देखने और भगवद्भक्ति में भाग लेने को प्रतिष्ठामंडप में धारा करते थे। 29 महारात्रि के चढावे मारवाड में विवाह या प्रतिष्ठा के लग्न दिन से पूर्वदिन की रात 'महारात' (महारात्रि) कहलाती है, क्योंकि प्रकृत उत्सव की अन्तिम रात्रि होने से उस में अधिक धामधूम और जागरण होने की वजह से वह लंबी चौडी हो जाती है। प्रस्तुत अंजनशलाका-महोत्सव की महारात भी उत्कृष्ट धूम धाम और विविधप्रकार के चढावे बोलने के कारण सचमुच 'महारात हो गयी। दोनों मंदिरों में मूर्तियां विराजमान करने, ध्वज दंड कलश चढाने, तोरण वांदने आदि के कुल पदावे इसी रात्रि में कोले गये / इस रातमें भाग्यशालि श्रावकों
SR No.004391
Book TitleJain Gyan Gun Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaubhagyavijay
PublisherKavishastra Sangraha Samiti
Publication Year1936
Total Pages524
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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