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________________ 393 - श्रीजैनशान-गुणसंग्रह 2301) अक्षरे रुपया तेईस सौ एक का चढावा द्वि० वै० शुदि 2 की नोकारसी का सा० कालुजी माणकजी की तरफ से हुआ। 3501) अक्षरे रुपया पेंतीस सौ एक का चढाया द्वि० वै० शुदि 3 की नोकारसी का सा० भेराजी राजमल गणेशमल की तरफ से हुआ। 4001) अक्षरे रुपया चार हजार एक का चढावा द्वि० वै० शुदि 4 की नोकारसी का मुंहता फोजमलजी हजारी मलजी की तरफ से हुआ। 13001) अक्षरे रुपया तेरह हजार एक का चढावा द्वि० वै० शुदि 5 अञ्जनशलाका की नोकारसी का सा० दीपचन्दजी सागरमल सदाजी की तरफ से हुआ। 5001) अक्षरे रुपया पांच हजार एक का चढावा द्वि० वै० शुदि 6 की नोकारसी का मुंहता भलेचन्दजी पुकराजजी की तरफ से हुआ। ऊपर मुजब ग्यारह नोकारसियों के चढावों की कुलं रकम 42611) अक्षरे बयालीस हमार छ: सौ और ग्यारह रुपया हो गई जिससे सकल संघ को अतीव हर्ष प्राप्त हुआ, इतमा
SR No.004391
Book TitleJain Gyan Gun Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaubhagyavijay
PublisherKavishastra Sangraha Samiti
Publication Year1936
Total Pages524
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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