________________ 382 श्री गोलनगरीय-पार्श्वनाथप्रतिष्ठा-प्रबन्ध चैत्र यहां पूरा हो जायगा, फिर यहां से गोल की तरफ विहार करेंगे।' मिगसिर शुदि 15 पूर्णिमा के प्रभात समय में पंच वापस गोल के लिये रवाने हुए और पौष वदि 6 के दिन मुनिमहाराज भी कुछ समय के लिये लुगावा से बाली की तरफ विहार कर गये / बाली में करीब 17 वर्ष से जैनसंघ में बड़ा भारी क्लेश चल रहा था सो महाराज साहब के पुण्य प्रभाव से तीन ही दिन में उस का अंत आ गया और संप हो गया। वहां से आप खुडाला, सांडेराव, दूजाना, बलाना होते हुए तखतगढ पधारे। 4 अंजनशलाका का निश्चय जो कि मुनिमहाराजने पंचों को प्राचीन मूर्तियों की तलाश करने के लिये कहा था परंतु गोल के श्रीसंघने तो दृढनिश्चय कर लिया था कि गोल में अंजनशलाका ही करायेंगे। महाराज तखतगढ पधारे उस वक्त फिर गोल के पंच सूत्रधार सोमपुरा थानजी कबीरजी हरजीवाले को साथ में लेकर तखतगढ गये और मूर्तियों के नाम और परिमाण देने की प्रार्थना की। महाराज साहबने इस वक्त भी प्राचीन मूर्तियोंकी खोज में जाने को कहा परन्तु आये हुए सज्जनोंने कहा कि हमारे गांववालों का निश्चय अंजनशलाका कराने का ही है