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________________ 378 श्री गोलनगरीय-पार्श्वनाथप्रतिष्ठा-प्रबन्ध है / जल यहां का मीठा और तंदुरस्ती को बढानेवाला है। गांव के आसपास कूँए, वाव, रहटों की. बहुतायत होने से यहां जल की कमी किसी समय नहीं मालूम होती। .. यहां पर गांव में वीसा ओसवालों के दो सौ घर हैं। वे सब संपप्रिय और समानधर्मी हैं / सब मूर्तिपूजक शुद्धसनातन चार थुई मानने वाले.जैन हैं। उन का रहन सहन रीत रसम बिलकुल सादा है। मनुष्यों की वेश-भूषा भी ज्यादहतर स्वदेशी खादीमय है / फेशन को वे अपने पास तक नहीं फटकने देते / बिलकुल प्राचीन पद्धति को मान देने में ही वे अपनी इजत समझते हैं / धंधा रोजगार अधिकांश में यहां पर ही लेन देन (धीर धार) का है, परन्तु अभी अभी उनमें से कुछ भाग परदेशों में मद्रास तक पहुंच गया है और अच्छा द्रव्योपार्जन कर रहा है। बाललग्न, वृद्धविवाह और कन्याविक्रय का प्रचार यहां बहुत ही कम नजर आता है जिस से इन लोगों की शारीरिक संपत्ति सदा उत्तम बनी रहती है। हर प्रकार से इन का जीवन सदाचारी और निर्दोष है। यहां पर दो जिन मंदिर हैं / एक पुराना ऋषभदेव भगवान का और दूसरा पार्श्वनाथ का, जो नवीन है। दो जैन श्वेताम्बर धर्मशालायें हैं जिनमें एक हाल ही में बनी है। पुराना एक उपाश्रय भी है जो दोनों जैनमंदिरों के बीच में आया हुआ है। यहां पहले अच्छे अच्छे प्रतिष्ठित तपागच्छ के यति हो
SR No.004391
Book TitleJain Gyan Gun Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaubhagyavijay
PublisherKavishastra Sangraha Samiti
Publication Year1936
Total Pages524
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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