________________ .. 174 5 विविध विचार . . यहां पर कितनेक लोगों का खयाल है कि सुआवड वाली स्त्री को रसोई कर खिलाने वाली पर तेले (अट्ठम) का दंड आता है वह ठीक नहीं है, यह जो तेले का दंड शास्त्र में लिखा है वह नाल छेदना स्नान कराना. आदि दाई का काम करने वाली के लिये है। कितनेक यह भी कहते हैं कि जिस घर में जन्म हुआ हो उस के आस पास के तीन तीन घर छोड कर साधु को आहार पानी लेना चाहिये, मगर यह भी गलत है। तीन तीन घर छोडने का मूल तात्पर्य यह है कि किसी घर में कोई मर गया हो और जब तक मुडदा वहां पड़ा हो तब तक दोनों तर्फ के तीन तीन घरो में पठन पाठन नहीं हो सकता। व्यवहार नामक छेद सूत्र की टीका में दश दिन के सिवाय अधिक सूतक नहीं बतलाया, लेकिन लोगो में बराबर आचार विचार शुद्ध न रहने लगा तब पिछले पुरुषों ने समय देख कर सूतक में कमी बेशी की है, उस मुताबिक विवेकी पुरुष पालन करते रहें। ___अपने घर में दास दासी जो अपने आधार पर रहे हुए हों तो उन का सूतक सिर्फ चोईस पहर का है। चोईस पहर के बाद देव दर्शन पूजा सामायिक आदि हो सकता है। गाय, भेंस, ऊंटनी, घोडी घर में प्रसवे तो दो दिन का सूतक और बाहर प्रसवे तो दिन 1 का सूतक होता है।