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________________ 158 5 विविध विचार है और दूसरे का 'त' तो इन दोनों में वर्गसंवन्धी वैर कहलायेगा जो वर्जना चाहिये। 6 लभ्य-देयलभ्य-देय को लोक प्रसिद्धि में लेना देनी भी कहते हैं। दो व्यक्तियों में से कौन किस का लेनदार है और कौन देनदार यह देखने की प्राचीन रीति यह है-दोनों व्यक्तियों के नाम के पहले अक्षरों के वर्ग के अंक निश्चित कर दोनों अंक आगे पीछे लिखना और जो संख्या बने उस को 8 का भाग देना, शेष बचे उसका आधा करना, जो संख्या आवे उतने विश्वा आगे के वर्गवाला पिछले वर्गवाले का देनदार है। __उन्हीं दो वगोंकों को दूसरी बार पहले से विपरीत लिखना और उसी तरह भाग दे कर शेष का आधा कर देखना दोनों में से एक दूसरे का एक दूसरे से क्या लेना है और क्या देना सो मालूम हो जायगा / दोनों का लेन देन चुकने के बाद जिस का विश्वा वधेगा वह दूसरे से उतने का लेन दार है। अगर दोनों व्यक्तियों का वर्णांक एक हो तो उस वर्ग के वर्गों का अंक ले कर ऊपर मुजब लेन देन देखना चाहिये। उदाहरण के तौर पर ईश्वरलाल और चंपालाल के आपस में लेन देन क्या है ? यह प्रश्न है। उत्तर-ईश्वरलाल का वर्गाक 1 है, क्योंकि 'ई' अवर्गका अक्षर है और चम्पालाल का वांक 3 है। इन दोनों अंकोंको आगे पीछे लिखने से क्रमशः
SR No.004391
Book TitleJain Gyan Gun Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaubhagyavijay
PublisherKavishastra Sangraha Samiti
Publication Year1936
Total Pages524
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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