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________________ 128 5 विविध विचार . इन में आवश्यक, आचारांग, सुयगडांग, दशवैकालिक उत्तराध्ययन तथा कल्पसूत्र इन छ की नियुक्ति भद्रबाहु की बनाई हुई मिलती हैं / निशीथभाष्य, बृहत्कल्पका लघुभाष्य तथा बडाभाष्य, व्यवहारभाष्य, जीतकल्पभाष्य, पंचकल्पभाष्य और ओपनियुक्तिभाष्य ये 7 भाष्य पुराने आचार्यों के बनाये हुए हैं। ____ आचारांग, सुयगडांग, भगवती, जंबूद्वीपपन्नत्ति, आवश्यक, उत्तराध्ययन, दशवैकालिक, पक्खीसूत्र, अनुयोगद्वार, नंदी, निशीथ, बृहत्कल्प, व्यवहार, दशाश्रुतस्कन्ध, पंचकल्प और जीतकल्प इन 13 सूत्रों की चूर्णियां प्राचीन आचार्योंने बनाई हैं। (2) 63 शलाका पुरुष विचार 24 तीर्थकर तीर्थकरनाम शरीरमान . आयुर्मान 1 ऋषभदेव 500 धनुष 84 लाख पूर्व 2 अजितनाथ 450 धनुष 72 लाख पूर्व 3 संभवनाथ 400 धनुष 60 लाख पूर्व 4 अभिनंदन 350 धनुष 50 लाख पूर्व 5 सुमतिनाथ 300 धनुष 40 लाख पूर्व 6 पद्मप्रभ 250 धनुष 30 लाख पूर्व 7 सुपार्श्वनाथ 200 धनुष 20 लाख पूर्व 8 चंद्रप्रभ 150 धनुष 10 लाख पूर्व
SR No.004391
Book TitleJain Gyan Gun Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaubhagyavijay
PublisherKavishastra Sangraha Samiti
Publication Year1936
Total Pages524
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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