________________ श्रीजैनज्ञान-गुणसंग्रह 119 महावीर प्रभु के पास वंदन को आया उसका वर्णन है / यह सुयगडांगप्रतिबद्ध है। मूल श्लोक 2078, मलयगिरि टीका श्लोक 3700 कुल संख्या 5778 है। ___3 जीवाभिगम-इसमें जीव अजीव संबंधी वर्णन है। यह ठाणांगप्रतिबद्ध है। मूल श्लोक 4700, मलयगिरि टीका 14000, लघुवृत्ति 11000, चूर्णि 1500 और सर्व संख्या 31200 है। ___4 पन्नवणा-इसमें जैन मान्य अनेक विषयों का वर्णन है। यह समवायांगप्रतिबद्ध है। मूल श्लोक' 7787, मलयगिरिटीका 16000, हरिभद्रकृत लघुवृत्ति 3728 और सर्व संख्या 27515 / 5 जंबूद्वीप पन्नत्ति-इसमें जंबूद्वीप का भूगोल वर्णन है। यह भगवतीप्रतिबद्ध है। मूल श्लोक 4146, मलयगिरिटीका 12000, चूर्णि 1860, कुल संख्या 18006 / ताडपत्रीय सूची में टीका का उल्लेख नहीं है। - 6 चंदपन्नत्ति-इसमें चंद्र की गति तथा ग्रह नक्षत्रों का वर्णन है, यह ज्ञाताप्रतिबद्ध है। मूल श्लोक 2200, मलयगिरि टीका 9411, लघुवृत्ति 1000, कुल संख्या 12611 / 7 सूर्य पन्नर्ति-इसमें सूर्य आदि ग्रहों का ही वर्णन है। 1 ताडपत्रीय सूचीमें मूल 7000 और वृत्ति (टीका) 15000 श्लोकप्रमाण लिखी है / सर्व संख्या 25728 लिखी है। ___2 ताडपत्रीय सूची में चंद्रप्रज्ञप्ति-सूर्यप्रज्ञप्ति का मूल 4400, वृत्ति 9000 और सर्व संख्या 13400 श्लोक बताया है।