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________________ واج .. श्रीजैनशान-गुणसंग्रह 19 ॐ ही नमो सुयनाणस्स / नो० 20, ख० सा० का० लो० 45 / __ 20 ॐ ही नमो तित्थस्स / नो० 20, ख० सा० का० लो० 5 / ___ यह तप वैशाख-आषाढ-मागसिर-फागुण इन चार मही नों में ग्रहण करना चाहिये, हर एक ओली दो महीने में और ज्यादा से ज्यादा 6 महीने में संपूर्ण करनी चाहिये, जिससे 10 वर्ष में यह वीश थानक तप समाप्त हो जावे / अष्टकर्म ओली विधि (कर्म सूदन तप) 1 ज्ञानावरणीय-उपवास / खमासमण, काउस्सग्ग लोगस्स 5, 'ॐ ह्री अनंतज्ञानगुणेभ्यो नमः' इसकी 20 नोकरवाली गिने। : 2 दर्शनावरणीय-एकासणा / खमासमण, काउस्सग्ग लोगस्स 9, ॐ ह्री अनंतदर्शनगुणेभ्यो नमः' नोकरवाली 20 / ___3 वेदनीय-एकलसिथु (एक दाणा खाना)। खमासमण, काउसग्ग लोगस्स 2, ॐ ही अव्यावाधगुणेभ्यो नमः' नोकरवाली 20 / . . 4 मोहनीय-एकलठाणुं (एकही साथ आहार और जल लेना)। खमासमण, काउसग्ग लोगस्स 28, 'ॐ ही यथाख्यातगुणेभ्यो नमः' नोकरवाली 20 /
SR No.004391
Book TitleJain Gyan Gun Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaubhagyavijay
PublisherKavishastra Sangraha Samiti
Publication Year1936
Total Pages524
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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