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________________ 986 अंग-पविट्ठ सुत्ताणि भंते ! कि संखेज्जा० ? एवं चेव एवं लवेवि मुहुत्तेवि, एवं अहोरत्तेवि, एवं पक्खे मासे उऊ अयणे संवच्छरे जुगे वाससए वाससहस्से वाससयहस्से पुग्वंगे पुव्वे तुडियंगे तुडिए अडडंगे अडडे अववंगे अववे हहुअंगे हहए उप्पलंगे उप्पले पउमंगे पउमे णलिणंगे लिणे अच्छिणि पूरंगे अच्छिणिपूरे अउयंगे अउए णउयंगे णउए पउयंगे पउए चुलियंगे चुलिए सीसपहेलियंगे सीसपहेलिया पलिओवमे सागरोवमे ओसप्पिणी एवं उस्सप्पिणीवि / पोग्गलपरियट्टे णं भंते ! कि संखेज्जा समया असंखेज्जा समया अणंता समया ? गोयमा ! णो संखेज्जा समया णो असंखेज्जा समया अणंता समया, एवं तीयद्धा अणागयद्धा सव्वद्धा / आवलियाओ पं. भंते ! कि संखेज्जा समया० पुच्छा, गोयमा! णो संखेज्जा समया सिय असंखेज्जा समया सिय अणंता समया। आणापाणणं भंते ! कि संखेज्जा समया० पुच्छा, एवं चेव, थोवाणं भंते ! कि संखेज्जा समया 3 ?एवं चेव एवं जाव ओस्सप्पिणीओत्ति। पोग्गलपरियाणं भंते ! कि संखेज्जा समया० पुच्छा, गोयमा ! णो संखेज्जा समया णो असंखेज्जा समया अणंता समया / आणापाणणं भंते ! कि. संखेज्जाओ आवलियाओ० पुच्छा, गोयमा! संखेज्जाओ आवलियाओ णो असंखेज्जाओ आवलियाओ णो अणंताओ आवलियाओ, एवं थोवेवि, एवं जाव सीसप्पहेलियत्ति। पलिओवमे णं भंते ! कि संखेज्जा० पुच्छा, गोयमा ! णो संखेज्जाओ आवलियाओ असंखेज्जाओ आवलियाओ णो अणंताओ. आवलियाओ, एवं सागरोवमेवि, एवं ओसप्पिणीवि उस्सप्पिणीवि / पोग्गलपरियट्टे पुच्छा, गोयमा ! णो संखेज्जाओ आवलियाओ णो असंखेज्जाओ आवलियाओ अणंताओ आवलियाओ, एवं जाव सव्वद्धा। आणापाणणं भंते ! कि संखेज्जाओ आवलियाओ० पुच्छा, गोयमा ! सिय संखेज्जाओ आवलियाओ सिय असंखेज्जाओ सिय अणंताओ, एवं जाव सीसप्पहेलियाओ, पलिओवमाणं पुच्छा, गोयमा ! णो संखेज्जाओ आवलियाओ सिय असंखेज्जाओ आवलियाओ सिय अणंताओ आवलियाओ, एवं जाव उस्सप्पिणी. ओत्ति / पोग्गलपरियट्टाणं पुच्छा, गोयमा ! णो संखेज्जाओ आवलियाओ णो असंखेज्जाओ आवलियाओ अणंताओ आवलियाओ। थोवे गं भंते ! कि संखेज्जाओ आणापाणूओ असंखेज्जाओ जहा आवलियाए वतन्वया एवं आणा. पाणूओवि गिरवसेसा, एवं एएणं गमएणं जाव सीसप्पहेलिया भाणियव्वा / सागरोवमे णं भंते ! किं संखेज्जा पलिओवमा० पुच्छा, गोयमा ! संखेज्जा पलि.
SR No.004390
Book TitleAngpavittha Suttani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1982
Total Pages1476
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_acharang, agam_sutrakritang, agam_sthanang, agam_samvayang, agam_bhagwati, agam_gyatadharmkatha, agam_upasakdasha, agam_antkrutdasha, & agam_anutta
File Size23 MB
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