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________________ भगवई स. 20 उ. 2 लोयप्पमाणे लोयफुडे लोयं चेव ओगाहित्ताणं चिट्ठइ, एवं जाव पोग्गलत्थिकाए। अहेलोए णं भंते ! धम्मत्थिकायस्स केवइयं ओगाढे ? गोयमा ! साइरेगं अद्धं ओगाढे, एवं एएणं अभिलावेणं जहा विइयसए जाव ईसिप्पन्भारा गं भंते ! पुढवी लोयागासस्स कि संखेज्जइ भागं ओगाढा० पुच्छा, गोयमा ! णो संखेज्जइभागं ओगाढा, असंखेज्जइभागं ओगाढा, णो संखेज्जे भागे ओगाढा, णो असंखेज्जे भागे ओगाढा, णो सवलोयं ओगाढा, सेसं तं चेव // 662 // धम्मस्थिकायस्स णं भंते ! केबइया अभिवयणा 50 ? गोयमा ! अणेगा अभिवयणा 50, तंजहा-धम्मेइ वा धम्मत्थिकाएइ वा पाणाइवायवेरमणेइ वा मसावायवेरमणेइ वा एवं जाव परिग्गहवेरमणेइ वा कोहविवेगेइ वा जाव मिच्छादसणसल्लविवेगेइ वा इरियासमिईइ वा भासासमिईइ वा एसणासमिईइ वा आयाणभंडमत्तणिक्खेवणासमिईइ वा उच्चारपासवणखलजल्ल. सिंघाणपारिद्वावणियासमिईइ वा मणगत्तीइ वा वइगुत्तीइ वा कायगुत्तीइ वा जे यावण्णे तहप्पगारा सव्वे ते धम्मत्थिकायस्स अभिवयणा / अहम्मस्थिकायस्स गं भंते ! केवइया अभिवयणा 50 ? गोयमा ! अणेगा अभिवयणा प०, तं०अधम्मेइ वा अधम्मस्थिकाएइ वा पाणाइवाएइ वा जाव मिच्छादसणसल्लेइ वा इरियाअसमिईइ वा जाव उच्चारपासवण जाव पारिद्वावणियाअसमिईइ वा मणअगुत्तीइ वा वइअगुत्तीइ वा कायअगुत्तीइ वा जे यावण्णे तहप्पगारा सव्वे ते अहम्मत्थिकायस्स अभिवयणा / आगासस्थिकायस्स णं पुच्छा, गोयमा ! अणेगा अभिवयणा 50, तं०-आगासेइ वा आगासत्थिकाएइ वा गगणेइ वा णभेइ वा समेइ वा विसमेइ वा खहेइ वा विहेई वा वीईइ वा विवरेइ वा अंबरेइ वा अंबरसेइ वा छिड्डेइ वा झुसिरेइ वा मग्गेइ वा विमुहेइ वा अद्देइ वा वियद्देइ वा आधारेइ वा वोमेइ वा भायणेइ वा अंतरिक्खेइ वा सामेइ वा उवासंतरेइ वा अंगमेइ वा फलिहेइ वा अणंतेइ वा जे यावण्णे तहप्पगारा सवे ते आगा. सत्थिकायस्स अभिवयणा / जीवत्थिकायस्स गं भंते ! केवइया अभिवयणा प०? गोयमा ! अणेगा अभिवयणा प०, तं०-जीवेइ वा जीवत्थिकाएइ वा पाणेइ वा भूएइ वा सत्तेइ वा विष्णूइ वा चेयाइ वा जेयाइ वा आयाइ वा रंगणेइ वा हिंडुएइ वा पोग्गलेइ वा माणवेइ वा कत्ताइ वा विकत्ताइ वा जएइ वा जंतूइ वा जोणीइ वा सयंभूइ वा ससरीरीइ वा णायएइ वा अंतरप्पाइ वा
SR No.004390
Book TitleAngpavittha Suttani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1982
Total Pages1476
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_acharang, agam_sutrakritang, agam_sthanang, agam_samvayang, agam_bhagwati, agam_gyatadharmkatha, agam_upasakdasha, agam_antkrutdasha, & agam_anutta
File Size23 MB
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