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________________ भगवई स. 14 उ. 8 791 य, एवं गेषेज्जविमाणाणं अणुत्तरविमाणाण य। अणुत्तरविमाणाणं भंते ! ईसिंपन्भारीए य पुढवीए केवइयं० पुच्छा, गोयमा! दुवालसजोयणे अबाहाए अंतरे पण्णत्ते / ईसिपमाराए णं भंते ! पुढवीए अलोगस्स य केवइए अबा. हाए• पुच्छा, गोयमा ! देसूर्ण जोयणं अबाहाए अंतरे पण्णत्ते // 526 // एस गं भंते ! सालरुक्खे उण्हाभिहए तण्हाभिहए दवग्गिज्जालाभिहए कालमासे कालं किच्चा कहिं गच्छिहिइ कहि उववज्जिहिइ ? गोयमा ! इहेव रायगिहे णयरे सालरुक्खत्ताए पच्चायाहिइ, से गं तत्थ अच्चियवंदियपूइयसक्कारिय. सम्माणिए दिव्वे सच्चे सच्चोवाए सण्णिहियपाडिहेरे लाउल्लोइयमहिए यावि भविस्सइ, से णं भंते ! तओहितो अणंतरं उव्वट्टिता कहिं गमिहिइ कहिं उव. वज्जिहिइ ?. गोयमा ! महाविदेहे वासे सिज्झिहिइ जाव अंतं काहिइ / एस णं भंते ! साललट्रिया उल्हाभिहया तण्हाभिहया दवग्गिजालाभिहया कालमासे कालं किच्चा जाव कहि उववजिहिइ ? गोयमा ! इहेव जंबुद्दीवे 2 भारहे वासे विझगिरिपायमूले महेसरिए णयरीए सामलिरुक्खत्ताए पच्चायाहिइ, सा णं तत्थ अच्चियबंदियपूइय जाव लाउल्लोइयमहिया यावि भविस्सइ / से गं भंते ! तओहितो अणंतरं उव्यट्टित्ता सेसं जहा सालरुक्खस्स जाव अंतं काहिइ / एस णं भंते ! उंबरलट्ठिया उन्हामिहया 3 कालमासे कालं किच्चा जाव कहि उववज्जिहिइ ? गोयमा ! इहेव जंबुद्दीवे 2 भारहे वासे पाडलिपुत्ते णयरे पाडलिरुक्खत्ताए पच्चायाहिइ, से णं तत्थ अच्चियवंदिय जाव भविस्सइ, से गं भंते ! तओहितोअणंतरं उव्वट्टित्ता सेसं तं चेव जाव अतं काहिइ // 527 // तेणे कालेणं तेणं समएणं अम्मडस्स परिवायगस्स सत्त अंतेवासीसया गिम्हकालसम. यंसि एवं जहा उववाइए जाव आराहगा॥५२८॥बहुजणे णं भंते ! अण्णमण्णस्स एवमाइक्खइ 4 एवं खलु अम्मडे परिव्वायए कंपिल्लपुरे णयरे घरसए एवं जहा उववाइए अम्मडस्स वत्तव्वया जाव दढप्पइण्णो अंतं काहिइ // 526 // अस्थि णं भंते ! अव्वाबाहा देवा अव्वाबाहा देवा ? हंता अस्थि / से केणद्वेणं भंते ! एवं उच्चइ अव्वाबाहा देवा 2 ? गोयमा ! प णे एगमेगे अव्वाबाहे देवे एगमेगस्स पुरिसस्स एगमेगंसि अच्छिपत्तंसि दिव्वं देविट्टि दिव्वं देवज्जुई दिव्वं देवाणुभागं दिव्वं बत्तीसइविहं गट्टविहिं उवदंसेत्तए, णो चेव णं तस्स पुरिसस्स किंचि आबाहं वा वाबाहं वा उप्पाएइ छविच्छेदं वा करेइ, एसुहुमं
SR No.004390
Book TitleAngpavittha Suttani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1982
Total Pages1476
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_acharang, agam_sutrakritang, agam_sthanang, agam_samvayang, agam_bhagwati, agam_gyatadharmkatha, agam_upasakdasha, agam_antkrutdasha, & agam_anutta
File Size23 MB
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