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________________ भगवई स. 14 उ.७ 789 ट्ठिइए, तुल्लसंखेज्जसमयठिईए एवं चेव, एवं तुल्लअसंखेज्जसमयढिईएवि, से तेण. ठेणं जाव काल तुल्लए 2 / से केणठेणं भंते ! एवं वुच्चइ भवतुल्लए 2? गोयमा! रइए णेरइयस्स भवट्ठयाए तुल्ले, गेरइए णेरइयवइरित्तस्स भवट्ठयाए णो तुल्ले, तिरिक्खजोणिए एवं चेव, एवं मणुस्सेवि, एवं देवेवि, से तेणठेणं जाव भव. तुल्लए 2 / से केणठेणं भंते ! एवं वुच्चइ भावतुल्लए भावतुल्लए ? गोयमा! एगगुणकालए पोग्गले एगगुणकालयस्स पोग्गलस्स भावओ तुल्ले, एगगुणकालए पोग्गले एगगुणकालावइरित्तस्स पोग्गलस्स भावओ णो तुल्ले, एवं जाव दस. गुणकालए, एवं तुल्लसंखेज्जगुणकालए पोग्गले, एवं तुल्लअसंखेज्जगुणकालएवि, एवं तुल्लअणंतगुणकालएवि, जहा कालए एवं गीलए लोहियए ालिद्दए सुक्किल्लए, एवं सुब्भिगंधे, एवं दुन्भिगंधे, एवं तित्ते जाव महरे, एवं कक्खडे जाव लुक्खे, उदइए भावे उदइयस्स भावस्स भावओ तुल्ले, उदइए भावे उद. इयभाववइरित्तस्स भावस्स भावओ णो तुल्ले, एवं उवसमिएवि, खइए० खओ. वसमिए० पारिणामिए० सण्णिवाइए भावे सण्णिवाइयस्स भावस्स, भावओ तुल्ले, सण्णिवाइए भावे सण्णिवाइयभाववइरित्तस्स भावस्स भावओ णो तुल्ले, से तेणठेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ भावतुल्लए 2 / से केणठेणं भंते ! एवं वुच्चइ संठाणतुल्लए 2 ? गोयमा ! परिमंडले संठाणे परिमंडलस्स संठाणस्स संठाणओ तुल्ले, परिमंडलसंठाणे परिमंडलसंठाणवइरित्तस्स संठाणस्स संठाणओ णो तुल्ले, एवं वट्टे तसे चउरंसे आयए, समचउरंससंठाणे समचउरंसस्स संठाणस्स संठाणओ तुल्ले, समचउरंसे संठाणे समचउरंससंठाणवइरित्तस्स संठाणस्स संठाणओ णो तुल्ले, एवं परिमंडले, एवं जाव हुंडे, से तेणठेणं जाव संठाणतुल्लए 2 // 522 // भत्तपच्चक्खायए णं भंते ! अणगारे मुच्छिए जाव अज्झोववणे आहारमाहारेइ अहे थे वीससाए कालं करेइ तओ पच्छा अमुच्छिए अगिद्ध जाव अणज्झोववणे आहारमाहारेइ ? हंता गोयमा ! भत्तपच्चक्खायए गं अणगारे तं चेव, से केणठेणं भंते ! एवं वुच्चइ भत्तपच्चक्खायए गं तं चेव, गोयमा ! भत्तपच्चक्खायए णं अणगारे मुच्छिए जाव अज्झोववण्णे आहारे भवइ, अहे गं वीससाए कालं करेइ तओ पच्छा अमुच्छिए जाव आहारे भवइ, से तेणठेणं गोयमा ! जाव आहारमाहारेइ // 523 // अस्थि णं भंते ! लवसत्तमा देवा 2 ? हंता अस्थि, से केणठेणं भंते ! एवं वुच्चइ लवसत्तमा देवा 2 ? गोयमा ! से जहाणामए-केइ पुरिसे तरुणे जाव णिउणसिप्पोवगए
SR No.004390
Book TitleAngpavittha Suttani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1982
Total Pages1476
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_acharang, agam_sutrakritang, agam_sthanang, agam_samvayang, agam_bhagwati, agam_gyatadharmkatha, agam_upasakdasha, agam_antkrutdasha, & agam_anutta
File Size23 MB
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