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________________ भगवई स. 14 उ.५ 785 अत्थेगइए वीईवएज्जा अत्थेगइए णो वीईवएज्जा / से केणठेणं भंते ! एवं बुच्चइ अत्थेगइए वीईवएज्जा अत्थेगइए णो वीईवएज्जा ? गोयमा! गैरइया दुविहा पण्णत्ता, तंजहा-विग्गहगइसमावण्णगा य अविग्गहगइसमावण्णगा य, तत्थ गंजे से विग्गहगइसमावण्णए रइए से णं अगणिकायस्स मज्झंमज्झेणं वीईवएज्जा / से णं तत्थ झियाएज्जा ? णा इणठे समठे, णो खलु तत्थ सत्थं कमइ, तत्थ णं जे से अविग्गहगइसमावण्णए णेरइए से णं अगणिकायस्स मज्झं. मज्झेणं णो वीईवएज्जा, से तेणठेणं जाव णो वीईवएज्जा। असुरकुमारे गं भंते ! अगणिकायस्स० पुच्छा, गोयमा ! अत्थगइए वीईवएज्जा अत्थेगइए णो वीईवएज्जा / से केण→णं जाव णो वीईवएज्जा? गोयमा ! असुरकुमारा दुविहा पण्णत्ता, तं०-विग्गहगइसमावण्णगा य अविग्गहगइसमावण्णगा य, तत्थ णं जे से विग्गहगइसमावण्णए असुरकुमारे से णं एवं जहेव णेरइए जाव कमइ, तत्थ णं ने से अविग्गहगइसमावण्णए असुरकुमारे से णं अत्थेगइए अगणिकायस्स मज्झं. मझेणं वीईवएज्जा, अत्थेगइए णो वीईवएज्जा / जे णं वीईवएज्जा से णं तत्थ झियाएज्जा ? णो इणठे समठे, णो खलु तत्थ सत्थं कमइ, से तेणठेणं एवं जाव थणियकुमारे। एगिदिया जहा रइया। बेइंदिया णं भंते ! अगणिकायस्स मझमज्झेणं जहा असुरकुमारे तहा बेइंदिएवि, गवरं जे णं वीईवएज्जा से णं / तत्थ झियाएज्जा ? हंता झियाएज्जा, सेसं तं चेव एवं जाव चरिदिए। पंचिदियतिरिक्खजोणिए णं भंते ! अगणिकाय० पुच्छा, गोयमा ! अत्थेगइए वीईवएज्जा अत्थेगइए णो वीईवएज्जा / से केणठेणं० ? गोयमा ! पंचिदिय. तिरिक्खजोणिया दुविहा पण्णत्ता, तंजहा-विग्गहगइसमावण्णगा य अविग्गहगइसमावण्णगा य, विग्गहगइसमावण्णए जहेव गैरइए जाव णो खलु तत्थ सत्थं कमइ, अविग्गहगइसमावण्णगा पंचिदियतिरिक्खजोणिया दुविहा पण्णत्ता, तंजहा-इडिप्पत्ता य अणिडिप्पत्ता य, तत्थ णं जे से इडिप्पत्ते पंचिदियतिरिक्ख. जोणिए से णं अत्थेगइए अगणिकायस्स मज्झमज्झेणं वीईवएज्जा अत्थेगइए णो वीईवएज्जा। जे णं वीईवएज्जा से णं तत्थ झियाएज्जा ? णो इणठे समठे, णो खलु तत्थ सत्थं कमइ, तत्थ णं जे से अणिड्डिप्पते पविदियतिरिक्खजोणिए से गं अत्थेगइए अगणिकायस्स मज्झमज्झेणं वीईवएज्जा अत्थेगइए णो वाईवएज्जा, जे णं वीईवएज्जा से गं तत्थ झियाएज्जा ? हंता झियाएज्जा, से
SR No.004390
Book TitleAngpavittha Suttani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1982
Total Pages1476
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_acharang, agam_sutrakritang, agam_sthanang, agam_samvayang, agam_bhagwati, agam_gyatadharmkatha, agam_upasakdasha, agam_antkrutdasha, & agam_anutta
File Size23 MB
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