________________ भगवई स. 9 उ. 33 679 महावीरस्स अदूरेसामंते ठिच्चा समणं भगवं महावीरं एवं वयासी-जहाणं देवाणु. प्पियाणं बहवे अंतेवासी समणा णिग्गंथा छ उमत्था भवेत्ता छउमत्थावक्कमणेणं अवक्कंता णो खलु अहं तहा चेव छउमत्थे भवित्ता छ उमत्थावक्कमणेणं अव. वकंते अहणं उप्पण्णणाणदंसणधरे अरहा जिणे केवली भवित्ता केवलिअवक्क. मणेणं अवक्कते। तए णं भगवं गोयमे जमालि अणगारं एवं वयासी-णो खलु जमाली ! केवलिस्स णाणे वा दंसणे वा सेलसि वा थंभंसि वा थभंसि वा आवरिज्जइ वा णिवारिज्जइ वा, जइ णं तुमं जमाली ! उप्पण्णणाणदंसणधरे अरहा जिणे केवली भवित्ता केवलिअवक्कमणेणं अवक्कते तो गं इमाई दो वागरणाइं वागरेहि-सासए लोए जमाली! असासए लोए जमाली ! सासए जीवे जमाली ! असासए जीवे जमाली ! तए णं से जमाली अणगारे भगवया गोयमेणं एवं वृत्ते समाणे संकिए कंखिए जाव कलुससमावण्णे जाए यावि होत्था, णो संचाएइ भगवओ गोयमस्स किचिवि पमोक्खमाइक्खित्तए तुसिणीए संचिट्ठइ। जमालीइ ! समणे भगवं महावीरे जमालि अणगारं एवं वयासी-अस्थि गं जमाली ! ममं बहवे अंतेवासी समणा णिग्गंथा छ उमत्था जे णं पभू एयं वागरणं वागरित्तए जहा गं अहं, णो चेव णं एयरपगारं भासं भासित्तए जहा णं तुम, सासए लोए जमाली ! जण्ण कयाइ णासि ण कयाइ ण भवइ ण कयाइ ण भविस्सइ भुवि च भवइ य भविस्सइ य धुवे णिइए सासए अक्खए अव्वए अवट्ठिए णिच्चे, असासए लोए जमाली ! जं ओसप्पिणी भवित्ता उस्सप्पिणी भवइ उस्सप्पिणी भवित्ता ओसप्पिणी भवइ, सासए जीवे जमाली! जं ण कयाइ णासी जाव णिच्चे, असासए जीवे जमाली ! जणं णेरइए भवित्ता तिरिक्खजोणिए भवइ तिरिक्खजोणिए भवित्ता मणुस्से भवइ मणुस्से भवित्ता देवे भवइ / तए णं से जमाली अणगारे समणस्स भगवओ महावीरस्स एव. माइक्ख माणस्स जाव एवं परूवेमाणस्स एयमढें णो सद्दहइ णो पत्तियइ णो रोएइ एयम→ असद्दहमाणे अपत्तियमाणे अरोएमाणे दोच्चपि समणस्स भग. वओ महावीरस्स अंतियाओ आयाए अवक्कमइ दोच्चंपि आयाए अवक्कमित्ता बहिं असम्भावुब्भावणाहि मिच्छत्तामिणिवेसेहि य अप्पाणं च परं च तदुभयं च वुग्गाहेमाणे वुप्पाएमाणे बहूई वासाइं सामण्णपरियागं पाउणइ 2 ता अद्धमासियाए संलेहणाए अत्ताणं झूसेइ अ० 2 ता तीसं भत्ताई अणसणाए छेदेइ 2