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________________ 582 अंग-पविट्ठ सुत्ताणि समाणे अत्थामे अबले अवीरिए अपुरिसक्कारपरक्कमे अधारणिज्जमिति कट्ट तुरए णिगिण्हइ तुरए णिगिण्हिता रहं परावत्तेइ रहं परावत्तिता रहमुस लाओ संगामाओ पडिणिक्खमइ 2 एगंतमंतं अवक्कमइ एगंतमंतं अवक्कमिता तुरए णिगिण्हइ 2 रहं ठवेइ 2 ता रहाओ पच्चोरुहइ रहाओ पच्वोरुहिता तुरए मोएइ तुरए मोएत्ता तुरए विसज्जेइ 2 ता दब्भसंथारगं संयरइ 2 ता पुरत्याभि. मुहे दुरूहइ दब्भसं० 2] पुरत्थाभिमुहे संपलियंकणिसण्णे करयल जाव कट्ट एवं वयासी-णमोत्थ णं अरिहंताणं जाव संपताणं णमोऽत्थ पं समणस्स भग. वओ महावीरस्स आइगरस्स जाव संपाविउकामस्स मम धम्मायरियस धम्मो. वएसगस्स वदामि पं भगवंतं तत्थगयं इहगए पासउ मे से भगवं तत्यगए जाव वंदइ णमंसइ 2 एवं वयासी-पुयिपि णं मए समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतिए थूलए पाणाइवाए पच्चक्खाए जावज्जीवाए एवं जाव थूलए परिग्गहे पच्चक्खाए जावज्जीवाए, इयाणि पि गं अहं तस्सेव भगवओ महावीरस्स अंतियं सव्वं पाणाइवायं पच्चक्खामि जावज्जीवाए एवं जहा खंदओ जाव एयपि णं चरमेहि ऊसासणीसासेहि वोसिरामित्ति कटु सग्णाहपढें मुयइ सण्णाहपढें मुइत्ता सल्लुद्धरणं करेइ सल्लुद्धरणं करेत्ता आलोइयपडिक्कते समाहिपत्ते आणुपुव्वीए कालगए। तए णं तस्स वरुणस्स पागणत्तुयस्स एगे पियबालवयंसए रहमुसलं संगाम संगामेमाणे एगेणं पुरिसेणं गाढप्पहारीकए समाणे अत्थामे अबले जाव अधारणिज्जमिति कटु वरुणं णागणत्तुयं रहमुसलाओ संगामाओ पडिणिक्खममाणं पासइ पासित्ता तुरए णिगेण्हइ तुरए णिगे. ण्हित्ता जहा वरुणे जाव तुरए विसज्जेइ पडसंथारगं दुरूहइ पडसंथारगं दुरूहिता पुरत्थाभिमुहे जाव अंजलि कट्ट एवं बयासी-जाई णं भंते ! मम पियबालवयंसस्स वर णस्त णागणतुयस्स सीलाई वयाइं गुणाई वेरमणाई पच्चक्खाण. पोसहोववासाई ताई णं ममंपि भवंतुत्तिकटु सम्णाहपढें मुयइ 2 सल्लुद्धरणं करेइ सल्लुद्ध रणं करेत्ता आणुपुत्वीए कालगए / तए णं तं वरुणं णागणत्तुयं कालगयं जाणित्ता अहासणिहिएहि वाणमंतरेहिं देवेहिं दिव्वे सुरभिगंधोदग. वासे बूढ़े दसवण्णे कुसुमे णिवाडिए दिव्वे य गीयगंधव्वणिणाए कए यावि होत्था / तए णं तस्स वरुणस्स णागणत्तुयस्स तं दिव्वं देविड्डि दिव्वं देवज्जुई दिव्वं देवाणुभागं सुणित्ता य पासित्ता य बहुजणो अण्णमण्णस्स एवमाइक्खाइ
SR No.004390
Book TitleAngpavittha Suttani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1982
Total Pages1476
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_acharang, agam_sutrakritang, agam_sthanang, agam_samvayang, agam_bhagwati, agam_gyatadharmkatha, agam_upasakdasha, agam_antkrutdasha, & agam_anutta
File Size23 MB
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