SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 398
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ समवाओ स० 79 से 84 385 हस्साई अबाहाए अंतरे प० / एवं केउस्स वि जूयस्स वि ईसरस्स वि। छठ्ठीए पुढवीए बहुमझदेसभायाओ छठुस्स घणोदहिस्स हेछिल्ले चरमंते एस णं एगूणासीई जोयणसहस्साई अबाहाए अंतरे प० / जंबुद्दीवस्स णं दीवस्स बारस्स य बारस्स य एस णं एगूणासीई जोयणसहस्साई साइरेगाइं अबाहाए अंतरे प० // 79 // सेज्जंसे णं अरहा असीई धणूइं उर्दू उच्चत्तेणं होत्था / तिविढे णं वासुदेवे असीई धणूई उर्दू उच्चत्तेणं होत्था / अयले णं बलदेवे असीई धणूई उड्डे उच्च. तेणं होत्था / तिविढे णं वासुदेवे असीइवाससयसहस्साई महाराया होत्था / आउ. बहुले णं कंडे असीइ जोयणसहस्साई बाहल्लेणं प० / ईसाणस्स देविंदस्स देवरणो असीइ सामाणियसाहस्सीओ पण्णत्ताओ। जंबुद्दीवे णं दीवे असीउत्तरं जोयणसयं ओगाहेत्ता सूरिए उत्तरकट्ठोवगए पढम उदयं करेइ // 80|| णवणवमिया णं भिक्खपडिमा एक्कासीइ राइं दिएहिं चउहि य पंचुत्तरेहिं (भिक्खासए हिं) अहासुत्तं जाव आराहिया / कंथुस्स णं अरहओ एक्कासीइं मणपज्जवणाणिसया होत्था / विवाह. पण्णत्तीए एकासीई महाजुम्मसया प० // 81 // जंबुद्दीवे दीवे बासीयं मंडलसयं जं सूरिए दुक्खुत्तो संकमित्ता णं चार चरइ, तं जहा-णिक्खममाणे य पविसमाणे य। समणे भगवं महावीरे बासीए राइंदिएहिं वीइकंतेहिं गब्भाओ गम्भं साहरिए / महाहिमवंतस्स णं वासहरपव्वयस्स उवरिल्लाओ चरमंताओ सोगंधियस्स कंडस्स हेटिल्ले चरमंते एस. णं बासीइं जोयणसयाई अबाहाए अंतरे प० / एवं रुप्पिस्स वि // 82 / / समणे भगुवं महावीरे बासीइ राइदिए हिं वीइकंतेहिं तेयासीइमे राई. दिए वट्टमाणे गब्भाओ गम्भं साहरिए / सीयलस्स णं अरहओ तेसीई गणा तेसीई गणहरा होत्था / थेरे णं मंडियपुत्ते तेसीइं वासाइं सव्वाउयं पालइत्ता सिद्ध जाव प्पहीणे / उसभे णं अरहा कोसलिए तेसीई पुव्वसयसहस्साई अगारमज्झे वसित्ता मुंडे भवित्ता णं जाव पव्वइए / भरहे णं राया चाउरंतचक्कवट्टी तेसीई पुव्वसयसहस्साई अगारमज्झे वसित्ता जिणे जाए केवली सव्वण्णू सवभावदरिसी // 83 / / चउरासीइ णिरयावाससयसहस्सा प० / उसमे णं अरहा कोसलिए चउरासीई पुव्वसयसहस्साई सव्वाउयं पालइत्ता सिद्धे बुद्धे जाव प्पहीणे / एवं भरहो बाहुबली बंभी सुंदरी / सिजसे णं अरहा चउरासीई वाससयसहस्साई सव्वाउयं पालइत्ता सिद्धे जाव प्पहीणे / तिविढे णं वासुदेवे चउरासीई वाससयसहस्साई सव्वाउयं पालइत्ता अप्पइट्ठाणे णरए णेरइयत्ताए उववण्णो / सक्कस्स णं देविंदस्स देवरणो
SR No.004390
Book TitleAngpavittha Suttani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1982
Total Pages1476
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_acharang, agam_sutrakritang, agam_sthanang, agam_samvayang, agam_bhagwati, agam_gyatadharmkatha, agam_upasakdasha, agam_antkrutdasha, & agam_anutta
File Size23 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy