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________________ अंग-पविट्ठ सुत्ताणि वण्ही वरुणा य गद्दतोया य, तुसिया अव्वाबाहा अग्गिचा चेव बोधव्वा (1) एए सि णं अट्ठण्हं लोगंतियदेवाणं अजहणणामणुकोसेणं अट्ठ सागरोवमाइं ठिई प० // 36 / / अट्ठ धम्मत्थिकायमज्झपएसा प० अट्ठ अहम्मत्थिकायमज्झपएसा एवं चेव अट्ठ आगासत्थिकायमज्झपएसा प० एवं चेव अट्ठ जीवमज्झपएसा प० // 37 / / अरहंता णं महापउमे अट्ठ रायाणो मुंडा भवित्ता अगाराओ अणगारियं पवावेस्सइ तं० पउमं पउमगुम्म णलिणं णलिणगुम्मं पउमद्धयं धणुद्धयं कणगरह भरहं / / 38 / / कण्हस्स णं वासुदेवस्स अट्ठ अग्गमहिसीओ अरहओ णं अरिट्ठ मिस्स अंतिए मुंडा भवेत्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइया सिद्धाओ जाव सम्बदुकावप्पहीणाओ तं० पउमावई य गोरी गंधारी लक्खणा सुसीमा य जंबवई सच्चभामा रुप्पिणी कण्हअग्गमहिसीओ // 39 // वीस्यिपुव्वस्स णं अट्ठ वत्थू अट्ठ चूलियावत्थू प० // 40 // अट्ठ गईओ प० त० णिरयगई तिरियगई जाव सिद्धिगई गुरुगई पणोल्लणगई पब्भारगई // 41 / / गंगासिंधुरत्तारत्तवइदेवीणं दीवा अट्ठ 2 जोयणाई आयामविखंभेणं प० // 42 // उक्कामुहमेहमुहविज्जुमुहविज्जुदंतदीवाणं दीवा अट्ठ 2 जोयणसयाई आयामविक्खंभेणं प० / / 43 / / कालोदे णं समुहे अट्ठ जोयणसयसहस्साई चक्कवालविक्खंभेणं प० // 44 // अब्भतरपुक्खरद्धे णं अट्ठ जोयणसयसहस्साई चकवालविक्खमेणं प० एवं बाहिरपुक्खरद्धेवि / / 45 / / एगमेगस्स णं रणो चाउरंतचक्कवट्टिस्स अट्ट सोवण्णिए काकिणिरयणे छत्तले दुवालसंसिए अट्ठकण्णिए अधिकरणिसंठिए प० // 46 // मागधस्स णं जोयणस्स अट्ठ धणुसहस्साइं णिधते प० // 47 // जंबू णं सुदंसणा अट्ठ जोयणाई उर्दू उच्चत्तेणं बहुमज्झदेसभाए अट्ट जोयणाई विक्खंभेणं साइरेगाई अट्ठ जोयणाई सव्वग्गेणं प० // 48 // कूडसामली णं अट्ठ जोयणाई एवं चेव // 49 // तिमिसगुहा णमट्ठ जोयणाई उर्दू उच्चत्तेणं / / 50 // खंडप्पवायगुहा णं अट्ठ जोय. णाई उड्ढे उच्चत्तेणं एवं चेव // 51 // जंबूमंदरस्स पव्वयस्स पुरत्थिमेणं सीयाए महाणईए उभओ कूले अट्ठ वक्वारपव्वया प० त० चित्तकूडे पम्हकडे णलिणकृडे एगसेले तिकूडे वेसमणकूडे अंजणे मायंजणे / / 52 // जंबूमंदरपच्चत्थिमेणं सीओयाए महाणईए उभओकूले अट्ठ वक्खारपव्वया प० तं० अंकावई पम्हावई आसीविसे सुहावहे चंदपव्वए सूरपव्वए णागपव्वए देवपव्वए // 53 //
SR No.004390
Book TitleAngpavittha Suttani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1982
Total Pages1476
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_acharang, agam_sutrakritang, agam_sthanang, agam_samvayang, agam_bhagwati, agam_gyatadharmkatha, agam_upasakdasha, agam_antkrutdasha, & agam_anutta
File Size23 MB
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