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________________ ठाणं ठा. 7 309 णं देविंदस्स देवरणो सत्त अणिया सत्त अणियाहिवईणो प० त० पायत्ताणिए जाव गंधव्वाणिए लहुपरक्कमे पायत्ताणियाहिवई जाव महासेए णट्टाणियाहिवई रए गंधव्वाणियाहिवई सेसं जहा पंचट्ठाणे एवं जाव अच्चुयस्स वि णेयव्यं 73-74 // चमरस्स णं असुरिंदस्स असुरकुमाररण्णो दुमस्स पायत्ताणियाहिवइस्स सत्त कच्छाओ प० तं० पढमा कच्छा जाव सत्तमा कच्छा / चमरस्स णं असुरिंदस्स असुरकुमाररण्णो दुमस्स पायत्ताणियाहिवइस्स पढमाए कच्छाए चउसट्ठि देवसहस्सा प० जावइया पढमा कच्छा तब्बिगुणा दोचा कच्छा तब्बिगुणा तच्चा कच्छा एवं जाव जावइया छट्ठा कच्छा तब्बिगुणा सत्तमा कच्छा / एवं बलिस्स विणवरं महद्दुमे सद्विदेवसाहस्सिओ सेसं तं चेव / धरणस्स एवं चेव णवरं अट्ठावीसं देवसहस्सा सेसं तं चेव जहा धरणस्स एवं जाव महाघोसस्स णवरं पायत्ताणियाहिवई अण्णे ते पुव्वभणिया / / 75 / / सक्कस्स णं देविंदस्स देवरण्णो हरिणेगमेसिस्स सत्त कच्छाओ प० तं. पढमा कच्छा एवं जहा चमरस्स तहा जाव अच्चुयस्स, णाणत्तं पायत्ताणियाहिवईणं ते पुवभणिया देवपरिमाणमिमं सक्कस्स चउरासीइं देवसहस्सा ईसाणस्स असीई देवसहस्साई देवा इमाए गाहाए अणुगंतव्वा, 'चउरासीइ असीइ बावत्तरि सत्तरी य सट्ठीया; पण्णा चत्तालीसा तीसा वीसा दससहस्सा' (1) जाव अच्चुयस्स लहुपरक्कमस्स दसदेवसहस्सा जाव जावइया छट्ठा कच्छा तब्बिगुणा सत्तमा कच्छा / / 76 // सत्तविहे वयणविकप्पे प० तं० आलावे, अणालावे, उल्लावे, अणुल्लावे, संलावे, पलावे विप्पलावे / / 77 // सत्तविहे विणए प० तं. णाणविणए, दंसणविगए, चरित्तविएण, मणविणए, वइविणए, कायविणए, लोगोवयारविणए / / 78 / / पसत्थमणविणए सत्तविहे प० तं० अपावए असावज्जे अकिरिए णिरुवक्केसे अणण्हकरे अच्छविकरे अभूयाभिसंकमणे // 79 // अपसत्थमणविणए सत्तविहे प० तं० पावए सावजे सकिरिए सउवक्केसे अण्हकरे छविकरे भूयाभिसंकमणे / / 80 // पसत्थवइविणए सत्तविहे प० तं० अपावए असावजे जाव अभूयाभिसंकमणे / / 81 / / अपसत्थवइविणए सत्तविहे प० तं० पावए, जाव भूयाभिसंकमणे / / 82 // पसत्थकायविणए सत्तविहे प० तं० आउत्तं गमणं आउत्तं ठाणं आउत्तं णिसीयणं आउत्तं तुअट्टणं आउत्तं उलंघणं आउत्तं पल्लंघणं आउत्तं सव्विं दियजोगजुंजणया / / 83 / / अपसत्थकायविणए सत्तविहे प० तं० अणाउत्तं गमणं जाव अणाउत्तं सबिंदियजोगजुंजणया // 84 // लोगोवयार
SR No.004390
Book TitleAngpavittha Suttani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1982
Total Pages1476
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_acharang, agam_sutrakritang, agam_sthanang, agam_samvayang, agam_bhagwati, agam_gyatadharmkatha, agam_upasakdasha, agam_antkrutdasha, & agam_anutta
File Size23 MB
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