SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 295
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 282 अंग-पविट्ठ सुत्ताणि तहा सव्वेसि दाहिणिल्लाणं जाव आरणस्स / जहा ईसाणस तहा सव्वेसिं उत्तरिल्लाणं जाव अच्चुयस्स / सक्कस्स णं देविंदस्स देवरणो अब्भतरपरिसाए देवाणं पंच पलिओवमाई ठिई प० / ईसाणस्स णं देविंदस्स देवरण्णो अब्भतरपरिसाए देवीणं पंच पलिओवमाई ठिई प० // 21 // पंच विहा पडिहा प० तं० गइपडिहा ठिइपडिहा बंधणपडिहा भोगपडिहा बलवीरियपुरिसयारपरक्कमपडिहा // 22 // पंचविहे आजीवे प० तं० जाइआजीवे कुलाजीवे कम्माजीवे सिप्पाजीवे लिंगाजीवे / / 23 / / पंच रायककुहा प० तं० खग्गं छत्तं उप्फेसं उवाणहाओ वालवीअणी // 24 // पंचहिं ठाणेहिं छउमत्ये णं उदिण्णे परिसहोवसग्गे सम्मं सहेजा खमेजा तितिक्खेज्जा अहियासेज्जा तं० उदिण्णकम्मे खलु अयं पुरिसे उम्मत्तगभूए तेण मे एस पुरिसे अकोसइ वा अवहसइ वा णिच्छोढेइ वा णिमछेइ वा बंधइ वा रुंभइ वा छविच्छेयं करेइ वा पमारं वा णेइ उद्दवेइ वा वत्यं वा पडिग्गहं वा कंबलं वा पायपुच्छणमच्छिदइ वा विच्छिदइ वा भिंदइ वा अवहरइ वा जक्खाइटे खलु अयं पुरिसे तेण मे एस पुरिसे अक्कोसइ वा तहेव जाव अवहरइ वा ममं च णं तन्भववेयणिज्जे कम्मे उदिण्णे भवइ तेण मे एस पुरिसे अक्कोसइ वा जाव अवहरइ वा ममं च णं सम्मं असहमाणस्स अस्वममाणस्स अतितिक्खमाणस्स अणहियासेमाणस्स किं मण्णे कज्जइ ? एगंतसो मे पावे कम्मे कन्जइ ममं च णं सम्मं सहमाणस्स जाव अहियासेमाणस्स किं मण्णे कन्जइ ? एगंतसो मे णिज्जरा कज्जइ इच्चेएहिं पंचहिं ठाणेहिं छउमत्थे उदिण्णे परिसहोवसग्गे सम्मं सहेज्जा जाव अहियासेज्जा / / 25 / / पंचहिँ ठाणेहिं केवली उदिणे परिसहोवसग्गे सम्म सहेज्जा जाव अहियासेज्जा तं० खित्तचित्ते खलु अयं पुरिसे तेण मे एस पुरिसे अंकोसइ वा तहेव जाव अवहरइ वा दित्तचित्ते खलु अयं पुरिसे तेण मे एस पुरिसे जाव अवहरइ वा जक्खाइटे ग्वलु अयं पुरिसे तेण मे एस पुरिसे जाव अवहरइ वा ममं च णं तब्भववेयणिज्जे कम्मे उदिण्णे भवइ तेण मे एस पुरिसे जाव अवहरइ वा ममं च णं सम्म सहमाणं खममाणं तितिक्खमाणं अहियासेमाणं पासित्ता बहवे अण्णे छउ. मत्था समणा णिग्गंथा उदिण्णे 2 परिसहोवसग्गे एवं सम्मं सहिस्संति जावं अहिया. सिस्संति इच्चेएहिं पंचहिं ठाणेहिं केवली उदिण्णे परिसहोवसग्गे सम्मं सहेज्जा जाव अहियासेज्जा // 26 // पंच हेऊ प० तं० हेउं ण जाणइ हेडं ण पासइ हेडं
SR No.004390
Book TitleAngpavittha Suttani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1982
Total Pages1476
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_acharang, agam_sutrakritang, agam_sthanang, agam_samvayang, agam_bhagwati, agam_gyatadharmkatha, agam_upasakdasha, agam_antkrutdasha, & agam_anutta
File Size23 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy