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________________ ठाणं ठा.१ 197 परिमंडले 60 // एगे किण्हे, एगे णीले, एगे लोहिए, एगे हालिहे, एगे सुकिले // 61 / / एगे सुब्भिगंधे, एगे दुन्मिगंधे // 62 // एगे तित्ते एगे कडुए एगे कसाए एगे अंबिले-एगे महुरे // 63 // एगे कक्खडे जाव एगे लुक्खे॥६४॥एगे पाणाइवाए जाव एगे परिग्गहे // एमे कोहे जाव एगे लोहे, एगे पेज्जे एगे दोसे, जाव एगे परपरिवाए, एगा अरइ-रइ, एगे मायामोसे एगे मिच्छादंसणसल्ले॥६५॥ एगे पाणाइवायवेरमणे जाव परिग्गहवेरमणे, एगे कोहविवेगे, जाव मिच्छादसणसल्लविवेगे // 66 // एगा ओसप्पिणी एगा सुसमसुसमा जाव एगा दुसमदुसमा, एगा उस्सप्पिणी, एगा दुसमदुसमा जाव एगा सुसमसुसमा / / 67 / / एगा णेरइयाणं वग्गणा, एगा असुरकुमाराणं वग्गणा, चउवीसदंडओ जाव एगा वेमाणियाणं वग्गणा // 68 // एगा भवसिद्धियाणं वग्गणा, एगा अभवसिद्धियाणं वग्गणा, एगा भवसिद्धियाणं णेरइयाणं वग्गणा, एगा अभवसिद्धियाणं णेरइयाणं वग्गणा, एवं जाव एगा भव सिद्धियाणं वेमाणियाणं वग्गणा एगा अभवसिद्धियाणं वेमाणियाणं वग्गणा // 69 // एगा सम्मदिट्ठियाणं वग्गणा, एगा मिच्छदिट्ठियाणं वग्गणा, एगा सम्ममिच्छदिट्ठियाणं वग्गणा, एगा सम्मदिठियाणं णेरइयाणं वग्गणा, एगा मिच्छदिट्ठियाणं णेरइयाणं वग्गणा, एगा सम्ममिच्छदिट्ठियाणं णेरइयाणं वग्गणा, एवं जाव थणियकुमाराणं, एगा मिच्छदिट्ठियाणं पुढवीकाइयाणं वग्गणा, एवं जाव वणस्सइकाइयाणं, एगासम्मदिट्ठियाणं बेइंदियाणं वग्गणा, एगा मिच्छदिट्ठियाणं बेइंदियाणं वग्गणा, एवं तेइंदियाणं चउरिदियाणं वि सेसा जहा णेरइया, जाव एगा सम्ममिच्छदिट्ठियाणं वेमाणियाणं वग्गणा // 70|| एगा कण्हपक्खियाणं वग्गणा, एगा सुक्कपक्खियाणं वग्गणा, एगा कण्हपक्खियाणं णेरइयाणं वग्गणा, एगा सुक्कपक्खियाणं णेरइयाणं वग्गणा, एवं चउवीसदंडओवि भाणियब्वो / / 71 // एगा कण्हलेस्साणं वग्गणा, एगा णीललेस्साणं वग्गणा, एवं जाव सुक्कलेस्साणं वग्गणा, एगा कण्हलेस्साणं णेरइयाणं वग्गणा, जाव काउलेस्साणं णेरइयाणं वग्गणा, एवं जस्स जइ लेस्साओ, भवणवइवाणमंतरपुढविआउवणस्सइकाइयाणं च चत्तारि लेस्साओ तेऊवाउवेइंदियतेइंदियचउरिंदियाणं तिण्णिलेस्साओ पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं मणुस्साणं छल्लेस्साओ, जोइसियाणं एगा तेउलेस्सा, वेमाणियाणं तिणिउवरिमलेस्साओ एगा कण्हलेस्साणं भवसिद्धियाणं वग्गणा, एगा कण्हलेस्साणं अभवसिद्धि
SR No.004390
Book TitleAngpavittha Suttani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1982
Total Pages1476
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_acharang, agam_sutrakritang, agam_sthanang, agam_samvayang, agam_bhagwati, agam_gyatadharmkatha, agam_upasakdasha, agam_antkrutdasha, & agam_anutta
File Size23 MB
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