________________ 1452 अंग-पविट्ठ सुत्ताणि सत्यवाहस्स पियंगभारियाए कुच्छिसि दारियत्ताए उववण्णा / तए णं सा पियंगुमारिया णवण्हं मासाणं."दारियं पयाया, णामं अंजुसिरी, सेसं. जहा देवदत्ताए / तए णं से विजए राया आसवाह० जहा बेसमणदत्ते तहा अंजु पासइ णवरं अप्पणो अट्टाए वरेइ जहा तेयली जाव अंजए भारियाए सद्धि उप्पि जाव विहरइ / तए गं तीसे अंजूए देवीए अण्णया कयाइ जोणिसूले पाउन्मए यावि होत्था / तए गं से विजए राया कोडंबियपुरिसे सहावेइ 2 ता एवं वयासी-गच्छह णं देवाणुप्पिया! वद्धमाणपुरे गयरे सिंघाडग जाव एवं वयहएवं खलु देवाणुप्पिया ! विजय० अंजूए देवीए जोणिसूले पाउन्भूए जो गं इ० वेज्जो वा ६..."जाव उग्घोसेंति / तए णं ते बहवे वेज्जा० 6 इमं एयारूवं सोच्चा णिसम्म जेणेव विजए राया तेणेव उवागच्छंति. उप्पत्तियाहि. परि. णामेमाणा इच्छंति अंजए देवीए जोणिसूल उवसामित्तए णो संचाएंति उव. सामित्तए / तए णं ते बहवे वेज्जा य 6 जाहे णो संचाएंति अंजू० जोणिसूलं उवसामित्तए ताहे संता तंता परितंता जामेव दिसि पाउन्भूया तामेव दिसि पडिगया / तए णं सा अंजूदेवी ताए वेयणाए अभिभूया समाणी सुक्का मुक्खा णिम्मंसा कट्ठाई कलुणाई वीसराई विलवइ / एवं 'खल गोयमा ! अंजूदेवी पुरापोराणाणं जाव विहरइ / अंज गं भंते ! देवी इओ कालमासे कालं किच्चा कहिं गच्छिहि० कहिं उववज्जिहिइ ? गोयमा ! अंजू णं देवी गउई वासाई परमाउयं पालइत्ता कालमासे कालं किच्चा इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए णेरइयताए उववज्जिहिइ, एवं संसारो जहा पढमे तहा णेयव्वं जाव वणस्सइ०, सा गं तो अणंतरं उव्वट्टित्ता सवओमद्दे गयरे मयरत्ताए पच्चायाहिइ / से गं तत्थ साउणिएहि वहिए समाणे तत्थेव सम्वओभद्दे णयरे सेटिकुलंसि पुत्तत्ताए पच्चायाहिइ / से गं तत्थ उम्मक्कबालभावे तहारूवाणं थेराणं. केवलं बोहि बज्झिहिइ पव्वज्जा सोहम्मे० / से गं ताओ देवलोगाओ आउक्खए० कहि गच्छिहि० कहिं उववज्जिहिइ ? गोयमा! महाविदेहे जहा पढमे जाव सिज्झिहिइ जाव अंतं काहिइ / एवं खलु जंबू ! समणेणं जाव संपत्तेणं दुहविवागाणं दसमस्स अज्झयणस्स अयमठे पण्णत्ते / सेवं भंते० // 30 // / / पढमो सुयक्खंधो समत्तो॥ .