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________________ 1334 अंग-पविट्ट सुत्ताणि विहरित्तए तिकटु एयमठें अण्णमण्णस्स पडिसुणेति 2 ता कवाडंतरेसु णिलुक्कंति णिच्चला णिप्फंदा तुसिणीया पच्छण्णा चिट्ठति / तए णं से अज्जु. णए मालागारे बंधुमईए भारियाए सद्धि जेणेव मोग्गरपाणिस्सजक्खस्स जक्खाययणे तेणेव उवागच्छइ० आलोए पणामं करेइ० महरिहं पुप्फच्चणं करेइ० जण्ण. पायपडिए पणामं करेइ / तए णं छ गोटिला पुरिसा दवदवस्स कवाडंतरेहितो णिग्गच्छंति 2 ता अज्जणयं मालागारं गेण्हंति 2 त्ता अवओगडय बंधणं करेंति० बंधुमईए मालागारीए सद्धि विउलाई भोगभोगाई मुंजमाणा विहरति / तए णं तस्स अज्जणयस्स मालागारस्स अयमज्झथिए 4 (त०)-एवं खलु अहं बालप्पभिई चेव मोग्गरपाणिस्स भगवओकल्लाकल्लि जाव वित्ति कप्पेमाणे विहरामि, तं जइ णं मोग्गरपाणी जक्खे इह संणिहिए होंते से णं कि मम एयारूवं आवई पावेज्जमाणं पासते ? तं णस्थि णं मोग्गरपाणी जक्खे इह संणिहिए, सुध्वत्तं णं एस कट्ठे। तए णं से मोग्गरपाणी जक्खे अज्जणयस्स मालागारस्स अयमेयारूवं अज्झत्थियं जाव वियाणित्ता अज्जुणयस्स मालागारस्स सरीरयं अणुप्पविसइ 2 ता तडतडस्स बंधाई छिदइ, छिदित्ता तं पलसहस्सणिप्फणं अयोमयं मोग्गरं गेण्हइ 2 ता ते इस्थिसत्तमे छ पुरिसे घाएइ। तए णं से अज्जणए मालागारे मोग्गरपाणिणा जक्खणं अण्णाइठे समाणे रायगिहस्स णगरस्स परिपेरतेणं कल्लाकल्लि इथिसत्तमे छ पुरिसे घाएमाणे विहरइ / तए णं रायगिहे णयरे सिंघाडग जाव महापहपहेसु बहुजणो अण्णमण्णस्स एवमाइक्खइ 4 एवं खलु देवाणप्पिया ! अज्जणए मालागारे मोग्गरपाणिणा अण्णाइठे समाणे रायगिहे णयरे बहिया इत्थिसत्तमे छ पुरिसे घायएमाणे विहरइ / तए णं से सेणिए राया इमीसे कहाए लद्धठे समाणे कोडुंबिय० सद्दावेइ 2 ता एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पिया ! अज्जुणए मालागारे जाव घाएमाणे जाव विहरइ तं मा णं तुब्भे केइ कट्ठस्स वा तणस्स वा पाणियस्स वा पुप्फफलाणं वा अट्ठाए सइरं णिग्गच्छइ मा णं तस्स सरीरयस्स वावत्ती भविस्सइत्तिकट्ट दोच्चंपि तच्चं. पि घोसणयं घोसेह 2 ता खिप्पामेव ममेयं पच्चप्पिणह / तए णं ते कोडंबिय० जाव पच्चप्पिणंति / तत्थ णं रायगिहे णयरे सुवंसणे णामं सेट्ठी परिवसइ अडढे०, तए गं से सुदंसणे समणोवासए यावि होत्या अभिगयजीवाजीवे जाव विहरइ / तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे भगवं जाव समोसढे० विहरइ,
SR No.004390
Book TitleAngpavittha Suttani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1982
Total Pages1476
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_acharang, agam_sutrakritang, agam_sthanang, agam_samvayang, agam_bhagwati, agam_gyatadharmkatha, agam_upasakdasha, agam_antkrutdasha, & agam_anutta
File Size23 MB
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