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________________ 118 अंग-पविट्ट सुत्ताणि भवंति सुव्वया / ए याई गुणाई आहु ते कासवस्स अणुधम्मचारिणो / / 20 / / तिविहेण वि पाण मा हणे आयहिए अणियाण संवुडे / एवं सिद्धा अणंतसो संपइ जे य अणागयावरे / / 21 / / एवं से उदाहु अणुत्तरणाणी अणुत्तरदंसी अणुत्तरणाणदंसणधरे / अरहा णायपुत्ते भगवं वेसालिए वियाहिए // 22 // त्ति बेमि / / उवसग्गपरिष्णा णाम तइयं अज्झयणं पढमो उद्देसो सूरं मण्णइ अप्पाणं जाव जेयं ण पस्सई / जुझंतं दढधम्माणं सिसुपालो व महारहं // 1 // पयाया सूरा रणसीसे संगामम्मि उवहिए / माया पुत्तं ण जाणाइ जेएण परिविच्छए // 2 / / एवं सेहे वि अप्पुढे भिक्खायरियाअकोविए / सूरं मण्णइ अप्पाणं जाव लूहं ण सेवए // 3 // जया हेमंतमासम्मि सीयं फुसइ सव्वगं / तत्थ मंदा विसीयंति रजहीणा व खत्तिया // 4 // पुढे गिम्हाहितावेणं विमणे सुपिवा सिए / तत्थ मंदा विसीयंति मच्छा अप्पोदए जहा / / 5 / / सया दत्तेखणा दुक्खा जायणा दुप्पणोल्लिया / कम्मत्ता दुब्भगा चेव इच्चाहंसु पुढोजणा // 6 // एए सहे अचायंता गामेसु णगरेसु वा / लत्थ मंदा विसीयंति संगामम्मि व भीरुया / / 7 / / अप्पेगे खुहियं भिखं सुणी डंसइ लूसए / तत्थ मंदा विसीयंति तेउपुट्ठा व पाणिणो / / 8 // अप्पेगे पडिभासंति पडिपंथियमागया / पडियारगया एए जे एए एवजीविणो / / 9 / / अप्पेगे वइ जुंजति णगिणा पिण्डोलगाहमा / मुण्डा कण्डूविणटुंगा उजल्ला असमाहिया // 10 // एवं विप्पडिवण्णेगे अप्पणा उ अजाणया। तमाओ ते तमं जंति मंदा मोहेण पाउडा // 11 // पुट्ठो य दंसमसगेहिं तणफासमचाइया / ण मे दिढे परे लोए जइ परं मरणं सिया / / 12 // संतत्ता केसलोएणं बम्भचेरपराइया / तत्थ मंदा विसीयंति मच्छा विट्ठा व केयणे // 13 // आयदण्डसमायारे मिच्छासंठियभावणा / हरिसप्पओसमावण्णा केई लूमंतिऽणारिया // 14 // अप्पेगे पलियंतेसिं चारो चोरो त्ति सुव्वयं / बंधंति भिक्खुयं बाला कसायवयणेहि य / / 15 // तत्थ दण्डेण संवीए मुट्टिणा अदु फलेण वा / णाईणं सरई बाले इत्थी वा कुद्धगामिणी // 16 // एए भो कसिणा फासा फरुसा दुरहियासया / हत्थी वा सरसंवित्ता कीवावस गया गिहं / / 17 // त्ति बेमि / ॥तइयं अज्झयणं बीओ उद्देसो॥ .. अहिमे सुहुमा संगा भिक्खूणं जे दुरुत्तरा / जत्थ एगे विसीयंति ण चयंति
SR No.004390
Book TitleAngpavittha Suttani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1982
Total Pages1476
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_acharang, agam_sutrakritang, agam_sthanang, agam_samvayang, agam_bhagwati, agam_gyatadharmkatha, agam_upasakdasha, agam_antkrutdasha, & agam_anutta
File Size23 MB
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