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________________ 116 अंग-पविटु सुत्ताणि वयं ण समुच्छे णो संथरे तणं / / 13 / / जत्थत्थमिए अणाउले समविसमाई मुणीऽहियासए / चरगा अदु वा वि भेरवा अदु वा तत्थ सरीसिवा सियां / / 14 / / तिरिया मणुया य दिव्यगा उवसग्गा तिविहा हियासिया / लोमादीयं ण हारिसे सुण्णागारगओ महामुणी // 15 / / णो अभिकंखेज जीवियं णो वि य पूयणपत्थए सिया / अब्भत्थमुवेंति भेरवा सुण्णागारगयस्स भिक्खुणो // 16 // उवणीयतरस्स ताइणो भयमाणस्स विविक्कमासणं / सामाइयमाहु तस्स जं जो अप्पाण भए ण दंसए // 17 // उसिणोदगतत्तभोइणो धम्मठियस्स मुणिस्स हीमतो / संसग्गि असाहु राइहिं असमाही उ तहागयस्स वि / / 18 // अहिगरणकडस्स भिक्खुणो वयमाणस्स पसज्झ दारुणं / अढे परिहायई बहू अहिगरणं ण करेज पण्डिए // 19 // सीओदग पडि दुगुछिणो अपडिण्णस्स लवावसप्पिणो / सामाझ्य माह .तस्स जं जो गिहिमत्तेऽसणं ण भुजई ॥२०॥णय संखय माहु जीवियं तह वि य बालजणो पगब्भई। बाले पावेहि मिन्जई इइ संखाय मुणी ण मज्जई // 21 // छंदैण पले इमा पया बहुमाया मोहेण पाउडा। वियडेण पलेंति माहणे सीउण्हं वयसा हियासए // 22 // कुजए अपराजिए जहा अक्खेहिं कुसलेहिं दीवयं / कडमेव गहाय णो कलिं णो तीयं णो चेव दावरं // 23 // एवं लोगम्मि ताइणा बुइए जे धम्मे अणुत्तरे / तं गिण्ह हियं ति उत्तमं कडमिव सेसऽवहाय पण्डिए // 24 // उत्तर मणुयाण अहिया गामधम्म इइ मे अणुस्सुयं / जंसी विरया समुट्ठिया कासवस्स अणुधम्मचारिणो // 25 // जे एय चरंति आहियं णाएण महया महेसिणा / ते उट्ठिय ते समुट्ठिया अण्णोणं सारेंति धम्मओ / / 26 / / मा पेह पुरा पणामए अभिकंखे उवहिं धुणित्तए / जे दूमण एहि णो णया ते जाणंति समाहिमाहियं // 27 // णो काहिए होज संजए पासणिए ण य संपसारए / णचा धम्मं अणुत्तरं कयकिरिए ण यावि मामए // 28 // छण्णं च पसंस णो करे ण य उक्कोस पगास माहणे / तेसिं सुविवेगमाहिए पणया जेहि सुजोसियं धुयं / / 29 // अणिहे सहिए सुसंवुडे धम्मट्ठी उवहाणवीरिए / विहरेज समाहिइंदिए अयहियं खु दुहेण लब्भइ // 30 // ण हि णूण पुरा अणुस्सुयं अदु वा तं तह णो समुट्ठियं / मुणिणा सामाइ आहियं णाएणं जगसव्वदंसिणा // 31 // एवं मत्ता महंतरं धम्ममिणं सहिया बहू जणा। गुरुणो छंदाणुवत्तगा विरया तिण्ण महोघमाहियं // 32 // त्ति बेमि / /
SR No.004390
Book TitleAngpavittha Suttani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1982
Total Pages1476
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_acharang, agam_sutrakritang, agam_sthanang, agam_samvayang, agam_bhagwati, agam_gyatadharmkatha, agam_upasakdasha, agam_antkrutdasha, & agam_anutta
File Size23 MB
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