SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 1281
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 1268 अंग-पविट्ठ सुत्ताणि च्छित्तं पडिवज्जाहि / तए णं सा काली अज्जा पुप्फचूलाए अज्जाए एयमढें णो आढाइ जाव तुसिणीया संचिद्वइ / तए णं ताओ पुप्फतलाओ अज्जाओ कालि अज्जं अभिक्खणं 2 हीलेंति गिदंति खिसंति गरहंति अवमाणंति अभिक्खणं 2 एयमझें णिवारेति / तए णं तीसे कालीए अज्जाए समणीहि णिग्गंथीहि अभिक्खणं 2 हीलिज्जमाणोए जाव वारिज्जमाणीए इमेयारूवे अज्झस्थिए जाव समुप्पज्जित्था-जया अहं अगारवासमझे वसित्था तया णं अहं सयंवसा / जप्पभिई च णं अहं मुंडा भवित्ता अगाराओ अण. गारियं पब्वइया तप्पभिई च णं अहं परवसा जाया / तं सेयं खल मम कल्लं पाउप्पभायाए रयणीए जाव जलते पाडि (विक) कयं उवस्सयं उवसंपज्जि. ताणं विहरित्तए-त्तिकट्ठ एवं संपेहेइ 2 ता कल्लं जाव जलंते पाडि (ए) वकं उवस्सयं गिण्हइ तत्थ णं अणिवारिया अणोहट्टिया सच्छदमई अभिक्खणं 2 हत्थे धोवेइ जाव आसयइ वा सयइ वा। तए गं सा काली अज्जा पासस्था पासस्थविहारी ओसण्णा ओसण्णविहारी कुसीला कुसीलविहारी अहाछंदा अहाछंदविहारी संसता संसत्तविहारी बहणि वासाणि सामण्णपरियागं पाउ. णइ 2 ता अद्धमासियाए संलेहणाए अप्पाणं झसेइ 2 ता तीसं भताई अणसणाए छेएइ 2 ता तस्स ठाणस्स अणालोइयअपडिक्कंता कालमासे कालं किच्चा चमरचंचाए रायहाणीए कालडिसए भवणे उवतायसभाए देवसणिज्जसि देवदूसंतरिया अंगलस्स असंखेज्जाइ भागमेत्ताए ओगाहणाए कालीदेवित्ताए उववण्णा। तए णं सा काली देवी अहुणोववण्णा समाणी पंचविहाए पज्जत्तीए जहा सूरियाभो जाव भासामणपज्जत्तीए / तए गं सा काली देवी चउण्हं सामाणियसाहस्सीणं जाव अण्णेसि च बहूणं कालवडेंसगभवणवासीणं असुरकुमाराणं देवाण य देवीण य आहेवच्चं जाव विहरइ / एवं खलु गोयमा ! कालीए देवीए सा दिव्वा देविड्ढी 3 लद्धा पत्ता अभिसमण्णागया। कालीए णं भंते ! देवीए केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता! गोयमा ! अड्डाइज्जाई पलिओवमाई ठिई पण्णत्ता / काली णं भंते ! देवी ताओ देवलोगाओ अणंतरं उव्वट्टित्ता कहिं गच्छिहिइ कहिं उववज्जिहिइ ? गोयमा ! महाविदेहे वासे सिज्झिहिइ जाव अंतं काहिइ / एवं खलु जंबू !
SR No.004390
Book TitleAngpavittha Suttani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1982
Total Pages1476
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_acharang, agam_sutrakritang, agam_sthanang, agam_samvayang, agam_bhagwati, agam_gyatadharmkatha, agam_upasakdasha, agam_antkrutdasha, & agam_anutta
File Size23 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy