________________ 1260 अंग-पविट्ठ सुत्ताणि सुणेइ / तए णं पुंडरीए राया धम्म सोच्चा जेणेव कंडरीए अणगारे तेणेव उवा. गच्छइ 2 ता कंडरीयं बंदइ णमंसइ वं० 2 ता कंडरीयस्स अणगारस्स सरीरगं सव्वाबाहं सरोगं पासइ 2 ता जेणेव थेरा भगवंतो तेणेव उवागच्छइ 2 त्ता थेरे भगवंते वंदइ णमंसइ वं०२ ता एवं वयासी-अहणं भंते ! कंडरीयस्स अणगारस्स अहापवर्त्तहि ओसहभेसज्जेहि जाव तिगिच्छं आ (उट्टा) उंटामि, तं तुन्भे गं भंते ! मम जाणसालासु समोसरह / तए णं थेरा भगवंतो पुंड. रीयस्स पडिसुणेति जाव उवसंपज्जिताणं विहरंति / तए णं पुंडरीए राया जहा मंडुए सेलगस्स जाव बलियसरीरे जाए / तए णं थेरा भगवंतो पंडरीयं रायं आपुच्छंति 2 ता बहिया नणवयविहारं विहरंति / तए णं से कंडरीए ताओ रोयायंकाओ विष्पमुक्के समाणे तंसि मणणंसि असणपाणखाइमसाइ. मंसि मुच्छिए गिद्धे गढिए अज्झोववण्णे णो संचाएइ पुंडरीयं आपुच्छित्ता बहिया अब्भुज्जएणं जणवयविहारं विहरित्तए तत्थेव असणे जाए / तए णं से पुंडरीए इमीसे कहाए लद्धठे समाणे हाए अंते उरपरियालसंपरिवडे जेणेव कंडरीए अणगारे तेणेव उवागच्छइ 2 ता कंडरीयं तिक्खुत्तो आयाहिणं पयाहिणं करेइ 2 ता वंदइ णमंसइ वं० 2 ता एवं वयासी-धणेसि ! गं तुमं देवाणुप्पिया ! कयत्थे कयपुण्णे कयलक्खणे, सुलद्ध णं देवाणुप्पिया ! तव माणुस्सए जम्मजीवियफले जे गं. तुमं रज्जं च जाव अंते उरं च (विछ. (ड्डइ) ड्डत्ता विगोवइत्ता जाव पवइए, अहणं अहणे अपुण्णे अकयपुण्ण रज्जे य जाव अंतउरे य माणुस्सएसु य कामभोगेसु मच्छिए जाव अज्झोवव. पणे णो संचाएमि जाव पव्वइत्तए, तं धणेसि गं तुमं देवाणप्पिया ! जाव जीवियफले / तए णं से कंडरीए अणगारे पुंडरीयस्स एयमलैं जो आढाइ जाव संचिट्ठइ / तए पं से कंडरीए पोंडरीएणं दोच्चंपि तच्चपि एवं वृत्ते समाणे अकामए अवस्सवसे लज्जाए गारवेण य पुंडरीयं रायं आपुच्छइ 2 त्ता थेरेहिं सद्धि बहिया जणवयविहारं विहरइ / तए णं से कंडरीए थेरेहि सद्धि किचि कालं उग्गं उग्गेणं विहरइ तओ पच्छा समणत्तणपरितते समण. तण-णिविण्णे समणत्तण-णिभ (स्थि)च्छिए समणगणमुक्कजोगी थेराणं अंतियाओ सणियं 2 पच्चोसक्कइ 2 ता जेणेव पुंडरिगिणी णयरी जेणेव पुंडरीयस्स भवणे तेणेव उवागच्छइ 2 ता असोगवणियाए असोग