________________ 1222 अंग-पविट्ठ सुत्ताणि णाए / तए णं तीसे ललियाए गोट्ठीए अण्णया [कयाइ] पंच गोहिल्लगपुरिसा देवदत्ताए गणियाए सद्धि सुभूमिभागस्स उज्जाणस्स उज्जाणसिरि पच्चणुभव. माणा विहरति / तत्थ गं एगे गोटिल्लगपुरिसे देवदत्तं गणियं उच्छंगे धरेइ एगे पिट्टओ आयवत्तं धरेइ एगे पुप्फदूरयं रएइ एगे पाए रएइ एगे चामरुक्खेवं करेइ / तए गं सा सूमालिया अज्जा देवदत्तं गणियं तेहिं पंचहि गोहिल्लपुरि. सेहि सद्धि उरालाई माणुस्सगाई भोगभोगाई मुंजमाणि पासइ 2 ता इमेया. रूवे संकप्पे समुप्पज्जित्था-अहो णं इमा इत्थिया पुरापोराणाणं कम्माणं जाव विहरइ / तं जइ णं केइ इमस्स सुचरियस्स तवणियमबंभचेरवासस्स कल्लाणे फलवित्तिविसेसे अस्थि तो णं अहमवि आगमिस्सेणं भवग्गहणेणं इमेयारवाई उरालाई जाव विहरिज्जामि-तिकटु णियाणं करेइ 2 ता आयावणभूमिओ पच्चोरुहइ // 120 // तए गं सा सूमालिया अज्जा सरीरबउसा जाया यावि होत्था अभिक्खणं 2 हत्थे धोवेइ पाए धोवेइ सीसं धोवेइ महं धोवेइ थणंतराई धोवेइ कक्खंतराइंधोवेइ गोज्झंतराइं धोवेइ जत्थ णं ठाणं वा सेज्जं वा णिसीहियं वा चेएइ तत्थ वि य णं पुवामेव उदएणं अन्मक्खइत्ता तओ पच्छा ठाणं वा 3 चेएइ / तए गं ताओ गोवालियाओ अज्जाओ सूमालियं अज्ज एवं वयासी-एवं खल देवा० ! अज्जे ! अम्हे समणीओ णिगंथीओ इरिया. समियाओ जाव बंभचेरधारिणीओ, णो खल कप्पइ अम्हं सरीरबाउसियाए होत्तए, तुमं च णं अज्जे ! सरीरबाउसिया अभिक्खणं 2 हत्थे धोवेसि जाव चेएसि, तं तुमंणं देवाणुप्पिए ! एय[त]स्स ठाणस्स आलोएहि जाव पडिवज्जाहि। तए णं सूमालियागं गोवालियाणं अज्जाणं एयमह्र णो आढाइ णो परिजाणइ अणाढायमाणी अपरिजाणमाणी विहरइ। तए णं ताओ अज्जाओ सूमालियं अज्ज अभिक्खणं 2 अभिहीलंति जाव परिभवंति अभिक्खणं 2 एयमझें णिवारेति। तए गं तीसे सूमालियाए समणीहि णिग्गंथोहि होलिज्जमाणीए जाव वारिज्ज. माणो इमेयारूवे अज्झथिए जाव समप्पज्जित्था-जया णं अहं अगारवासमझे वसामि तया गं अहं अप्पवसा / जया णं अहं मुंडे भवित्ता पव्वइया तया गं अहं परवसा / पुद्वि च णं ममं समणीओ आढायंति इयाणि णो आढायंति। तं सेयं खलु मम कल्लं पाउप्पभायाए गोवालियाणं अंतियाओ पडिणिक्खमित्ता पाडिएक्कं उवस्सयं उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए-त्तिकटु एवं संपेहेइ 2 ता