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________________ 1024 अंग-पविट्ठ सुत्ताणि जहा कण्हपक्खिया / सम्मामिच्छादिट्ठीणं पुच्छा, गोयमा ! णो किरियावाई णो अकिरियावाई अण्णाणियवाईवि वेणइयवाईवि, णाणी जाव केवलणाणी जहा अलेस्से, अण्णाणी जाव विभंगणाणी जहा कण्हपक्खिया, आहारसण्णो. वउत्ता जाव परिग्गहसण्णोवउत्ता जहा सलेस्सा, णोसण्णोवउत्ता जहा अलेस्सा, सवेयगा जाव णपुंसगवेयगा जहा सलेस्सा, अवेयगा जहा अलेस्सा, सकसाई जाव लोभकसाई जहा सलेस्सा, अकसाई जहा अलेस्सा, सजोगी जाव काय. जोगी जहा सलेस्सा, अजोगी जहा अलेस्सा, सागारोवउत्ता अणागारोवउत्ता जहा सलेस्सा। रइया णं भंते ! कि किरियावाई० पुच्छा, गोयमा ! किरिया. वाईवि जाव वेणइयवाईवि / सलेस्सा णं भंते ! जेरइया कि किरियावाई. ? एवं चेव, एवं जाव काउलेस्सा, कण्हपक्खिया किरियाविवज्जिया, एवं एएणं कमेणं जच्चेव जीवाणं वत्तन्वया सच्चेव णेरइयाणवि वत्तव्वया जाव अणागा. रोवउत्ता णवरं जं अस्थि तं भाणियन्वं सेसं ण भण्णइ, जहा णेरइया एवं जाव थणियकुमारा / पुढविकाइया णं भंते ! किं किरियावाई० पुच्छा, गोयमा ! णो किरियावाई अकिरियावाईवि अण्णाणियवाईवि णो वेणइयवाई, एवं पुढविकाइयाणं जं अस्थि तत्थ सव्वत्थवि एयाइं दो मज्झिल्लाई समोसरणाइं जाव अणागारोवउत्तावि, एवं जाव चरिदियाणं सन्वट्ठाणेसु एयाइं चेव मज्झिल्ल. गाइं दो समोसरणाई, सम्मत्तणाणेहिवि एयाणि चेव मज्झिल्लगाइं दो समो. सरणाई, पंचिदियतिरिक्खजोणिया जहा जीवा णवरं जं अस्थि तं भाणियत्वं, मणुस्सा जहा जीवा तहेव गिरवसेस, वाणमंतरजोइसियवेमाणिया जहा असुर. कुमारा / किरियावाई णं भंते ! जीवा कि णेरइयाउयं पकरेति तिरिक्ख. जोणियाउयं पकरेति मणुस्साउयं पकरेति देवाउयं पकरेति ? गोयमा ! णो णेरइयाउयं पकरेंति णो तिरिक्खजोणियाउयं पकरेंति मणस्साउयंपि पकरेंति देवाउयंपि पकरेंति / जइ देवाउयं पकरेंति किं भवणवासिदेवाउयं पकरेंति जाव वेमाणियदेवाउयं पकरेंति ? गोयमा ! णो भवणवासिदेवाउयं पकरेंति णो वाणमंतरदेवाउयं पकरेंति णो जोइसियदेवाउयं पकरेंति वेमाणियदेमउयं पकरेंति / अकिरियावाई गं भंते ! जीवा कि रइयाउयं पकरेंति तिरिक्ख. पुच्छा, गोयमा ! णेरइयाउयंपि पकरेंति जाव देवाउयंपिपकरेंति, एवं अण्णा. णियवाईवि वेणइयवाईवि / सलेस्सा णं भंते ! जीवा किरियावाई कि रइया.
SR No.004390
Book TitleAngpavittha Suttani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1982
Total Pages1476
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_acharang, agam_sutrakritang, agam_sthanang, agam_samvayang, agam_bhagwati, agam_gyatadharmkatha, agam_upasakdasha, agam_antkrutdasha, & agam_anutta
File Size23 MB
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