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________________ कप्पसुत्तं-सामायारी 43 जाव सुकिल्ले / अस्थि हरियसुहुमे पुढवीसमाणवण्णए णामं पण्णत्ते, जे णिग्गंथेण वा णिग्गंथीए बा अभिक्खणं अभिक्खणं नाणियत्वे पासियव्वे पडिलेहियत्वे भवइ / से तं हरियसुहमे 4 // से किं तं पुष्पसुहुमे ? पुप्फसुहुमे पंचविहे पण्णत्ते, तंजहाकिण्हे जाव सुकिल्ले। अत्थि पुकसुहुमे रुक्खसमाणवण्णे णामं पण्णत्ते, जे छउमत्थेणं णिग्गंथेण वा णिग्गंथीए वा जाणियव्वे जाव पडिलेहियव्वे भवइ / से तं पुष्पसुहुमे 5 // से किं तं अंडसुहमे ? अंडसुहुमे पंचविहे पण्णत्ते, तंजहा-उइंसंडे, उक्कलियंडे, पिपीलियंडे, हलियंडे, हल्लोहलियंडे, जे णिग्गंथेण वा णिग्गंथीए वा जाव पडिलेहियव्वे भवंइ / से तं अंडसुहुमे 6 // से किं तं लेणसुहुमे ? लेणसुहुमे पंचविहे पण्णत्ते, तंजहा-उत्तिंगलेणे, भिंगुलेणे, उज्जुए, तालमूलए, सबुक्कावट्टे णामं पंचमे, जे छउमत्थेणं णिग्गंथेण वा णिग्गंथीए वा जाणियब्वे जाव पडिले हियत्वे भवइ / से तं लेणसुहमे 7 // से किं तं सिणेहसुहमे ? सिणेहसुहमे पंचविहे पण्णत्ते, तंजहा-उस्सा, हिमए, महिया, करए, हरतणुए / जे छउमत्थेणं णिग्गंथेण वा णिग्गंथीए वा अभिः क्खणं अभिक्खणं जाव पडिले हियत्वे भवइ / से तं सिणेहसुहमे 8 // 45 / / वासाबासं पज्जोसविए भिक्खू इच्छिजा गाहावइकुलं भत्ताए वा पाणाए वा णिक्खमित्तए वा पविसित्तए वा णो से कप्पइ अणापुच्छित्ता आयरियं वा उवज्झायं वा थेरं(वा) पवित्तिं गणिं गणहरं गणावच्छेययं जं वा पुरओ काउं विहरइ, कप्पइ से आपुच्छिउं आयरिय वा जाव नं वा पुरओ काउं विहरइ-इच्छामि णं भंते ! तुम्भेहिं अब्भणुण्णाए समाणे गाहावइकुलं भत्ताए वा पाणाएं वा णिक्खमित्तए वा पविसित्तए वा, ते य से वियरिजा एवं से कप्पद भत्ताए वा पाणाए वा णिक्खमित्तए वा पवि सित्तए वा, ते य से णो वियरिजा एवं से णो कप्पइ भत्ताए वा पाणाए वा णिक्खमित्तए वा पविसित्तए वा। से किमाहु भंते !, आयरिया पच्चवाय जाणंति // 46 / / एवं विहार(सज्झायोभूमि वा वियारभूमि वा अण्णं वा जं किंचि पओयणं, एवं गामाणुगाम दूइज्जित्तए // 47 // वासावासं पज्जोसविए भिक्खू इच्छिज्जा अण्णयरिं विगइं आहारित्तए, णो से कप्पइ अणापुच्छित्ता आयरियं वा जाव गणावच्छेययं वा जंवा पुरओ काउं विहरइ, कप्पइ से आपुच्छित्ता आयरियं नाव आहारित्तए-इच्छामि णं भंते ! तुब्भेहिं अब्भणुण्णाए समाणे अण्णयरिं विगई आहारित्तए एवइयं वा एवइयखुत्तो वा, ते य से वियरिजा एवं से कप्पइ अण्णयरि विगई आहारित्तए, 1 सकारण।
SR No.004389
Book TitleAnangpavittha Suttani Bio Suyakhandho
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1984
Total Pages746
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_jambudwipapragnapti, agam_jambudwipapragnapti, agam_nirayavalika, agam_kalpavatansika, agam_pushpika, agam_pushpachulika, agam_vrushnidasha, & agam
File Size13 MB
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