________________ 1276 अनंगपविट्ठसुत्ताणि भूए 7 / तत्थ गाहाओ-णेगेहिं माणेहि, मिणइत्ति णेगमस्स य णिरुत्ती / सेसाणं पि णयाणं, लक्खणमिणमो सुणह वोच्छं // 1 // संगहियपिंडियत्थं, संगहवयणं समासओ बिति / वच्चइ विणिच्छियत्थं, ववहारो सव्वदव्वेसु // 2 // पञ्चुप्पण्णग्गाही, उज्जुसुओ णयविही मुणेयव्यो / इच्छइ विसेसियतरं, पच्चुप्पण्णं णओ सद्दो // 3 // वत्थूओ संकमणं,होइ अवत्थू णए सममिरूढे / वंजणअत्थतदुभयं, एवंभूओ विसेसेइ // 4 ॥णायम्मि गिण्डियन्वे, अगिव्हियत्वग्मि चेव अत्थम्मि। जइयव्यमेव इइ जो, उवएसो सो णओ णाम // 5 // सव्वेसि पि णयाणं, बहुविहवत्तव्वयं णिसामित्ता। तं सव्वणयविसुद्धं, जं चरणगुणट्ठिओ साहू // 6 // सेत्तं गए // 153 / / अणु ओगद्दारा संमत्ता // सोलससयाणि चउरुत्तराणि, होति उ इमंमि गाहाणं / दुसहस्स मणुठुभ-, छंदवित्तपमाणओ भणिओ॥१॥ गयरमहादारा इव, उवक्कमदाराणुओगवरदारा / अक्खरबिंदुगमत्ता, लिहिया दुक्खक्खयट्ठाए // 2 // // अणुओगदारसुत्तं समत्तं // चत्तारि मूलसुत्ताइसमत्ताई