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________________ 1222 अनंगपविट्ठसुत्ताणि वसमेणं, तंजहा-णाणावरणिजस्स 1 दंसणावरणिजस्स 2 मोहणिजस्स 3 अंतरायस्स खओवसमेणं 4 / सेत्तं खओवसमे / से किं तं खओवसमणिप्फण्णे ? खओवसमणि फण्णे अणेगविहे पण्णत्ते / तंजहा-खओवसमिया आभिणिबोहियणाणलद्धी जाव खओवसमिया मणपजवणाणलद्धी, खओवसमिया मइअण्णाणलद्धी, खओवस. मिया सुयअण्णाणलद्धी, खओवसमिया विभंगणाणलद्धी, खओवसमिया चवखुदंसणलद्धी, खओवसमिया अचक्खुदंसणलद्धी, खओवसमिया ओहिदंसणलद्धी, एवं सम्मदंसणलद्धी मिच्छादसणलद्धी सम्ममिच्छादसणलद्धी, खओवसमिया सामाइयचरित्त. लद्वी, एवं छेदोवट्ठावणलद्धी परिहारविसुद्धियलद्धी सुहमसंपरायचरित्तलद्धी, एवं चरित्ताचरित्तलद्वी, खओवसमिया दाणलद्धी, एवं लाभलद्धी भोगलद्धी उवभोगलद्धी, खओवसमिया वीरियलद्धी, एवं पंडियवीरियलद्धी बालवीरियलद्धी बालपंडियवीरिय- . लद्वी, खओवसमिया सोइंदियलद्धी जावः .फासिंदियलद्धी, खओवसमिए आयारंगघरे, एवं सुबगडंगधरे ठाणंगधरे समवायंगधरे विवाहपण्णचिधरे णायाधम्मकहाधरे उवासगदसा० अंतगडदसा० अणुत्तरोववाइयदसा० पण्हावागरणधरे विवागसुयधरे, खओवसमिए दिट्ठिवायधरे, खओवसमिए णवपुव्वी नाव चउद्दसपुवी, खओवसमिए गणी, खओवसमिए वायए / सेत्तं खओवसमणिप्फण्णे / सेत्तं खओव. समिए / से किं तं पारिणामिए ? पारिणामिए दुविहे पण्णत्ते / तंजहा-साइपारिणामिए य 1 अणाइपारिणामिए य 2 / से किं तं साइपारिणामिए ? साइपारिणामिए अणेगविहे पण्णत्ते / तंजहा-गाहा-नुण्णसुरा जुण्णगुलो, जुण्णघयं जुण्णतंदुला चेव / अब्भा य अब्भरुक्खा, सण्णा गंधव्वणगरा य॥ 1 // उक्कावाया, दिसादाहा, गज्जियं, विज्जू , णिग्घाया, जूवया, जक्खादित्ता, धूमिया, महिया, रउग्घाया, चंदोवरागा, सूरोवरागा, चंदपरिवेसा, सूरपरिवेसा, पडिचंदा, पडिसूरा, इंदधणू , उदगमच्छा, कविहसिया, अमोहा, वासा, वासधरा, गामा, गगरा, घरा, पव्वया, पायाला, भवणा, णिरया-रयणप्पहा, सकरप्पहा, वालुयप्पहा, पंकप्पहा, धूमप्पहा, तमप्पहा, तमतमप्पहा, सोहम्मे जाब अच्चुए, गेवेज्जे, अणुत्तरे, ईसिप्पन्भारा, परमाणुपोग्गले, दुपए सिए जाव अणंतपए सिए / सेत्तं साइपारिणामिए / से किं तं अणाइपारिणामिए ? अणाइपारिणामिए-धम्मत्थिकाए,अधम्मत्थिकाए, आगासत्थिकाए, जीवत्थिकाए, पुग्गलत्थिकाए, अद्धासमए, लोए, अलोए, भवसिद्धिया अभवंसिद्धिया। सेत्तं भणाइपारिणामिए / सेत्तं पारिणामिए / से किं तं सण्णिबाइए ?
SR No.004389
Book TitleAnangpavittha Suttani Bio Suyakhandho
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1984
Total Pages746
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_jambudwipapragnapti, agam_jambudwipapragnapti, agam_nirayavalika, agam_kalpavatansika, agam_pushpika, agam_pushpachulika, agam_vrushnidasha, & agam
File Size13 MB
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