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________________ (4) महावीर स्वामी के पास निग्रंथ प्रव्रज्या ग्रहण, श्रमण पर्याय का पालन, देवलोक गमन और भविष्य में मोक्ष प्राप्त करने का वर्णन है / यह कालिक सूत्र है / इसमें 10 अध्ययन है। 10 पुफिया-पुष्पिता नामक दसवें उपांग सूत्र में जो संयम पालन में खिले (फले) फिर विराधना से मुरझाये और पुनः संयम से फूले ऐसे 10 जीवों के पूर्वजन्म का विस्तृत वर्णन है। यह कालिक सूत्र है। इसमें 10 अध्ययन है। 11 पुप्फचलिया-पुष्पचूलिका नामक ग्यारहवें उपांग सूत्र में श्री, ह्री आदि 10 देवियों का भगवान महावीर की वंदना के लिए आना, गौतम स्वामी द्वारा पूर्वभव पृच्छा, भगवान् द्वारा पूर्व भव कथन आदि का वर्णन है। यह कालिकसूत्र है / इसमें 10 अध्ययन है। 12 वण्हिदसा-वृष्णिदशा में बलदेव राजा के निषढकुमारादि 12 पुत्रों का भगवान् अरिष्टनेमि के पास निग्रंथ प्रव्रज्याग्रहण, सर्वार्थसिद्धि गमन और भविष्य में मोक्ष प्राप्त करने का वर्णन है / यह कालिक सूत्र है। इसमें 12 अध्ययन है। चार छेद सूत्र 1 ववहारो- व्यवहार नामक प्रथम छेद सूत्र में 10 उद्देशक है / जिसे जो प्रायश्चित्त आता है उसे वह प्रायश्चित्त देना व्यवहार है। इस सूत्र में प्रायश्चित्त का वर्णन होने से इसे व्यवहार सूत्र कहते हैं / यह कालिक सूत्र है। 2 बिहकप्पसुत्तं-बृहत्कल्प नामक दूसरे छेद सूत्र में मुख्यतया साधुसाध्वियों के आचारकल्प का वर्णन है / इसमें छः उद्देशक हैं। यह कालिक सूत्र है। कल्प का अर्थ है-मर्यादा / साधु धर्म की मर्यादा का प्रतिपादक होने से यह बृहत्कल्प के नाम से जाना जाता है / इसमें आहार,उपकरण, क्रियाक्लेश, गहस्थों के यहाँ जाना, दीक्षा, प्रायश्चित्त, परिहार विशुद्धि चारित्र, दूसरे गच्छ में जाना, विहार, वाचना स्थानक आदि विषयक साध्वाचार का कथन है। 3 णिसीहसुत्तं-निशीथ नामक तृतीय छेद सूत्र में प्रायश्चित्ताधिकार है / इसमें 20 उद्देशक है / पहले उद्देशक में गुरु मासिक प्रायश्मित्त. दूसरे से पाँचवें उद्देशक में लघुमासिक प्रायश्चित्त छठे से 11 वें उद्देशक में गुरु चातु
SR No.004389
Book TitleAnangpavittha Suttani Bio Suyakhandho
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1984
Total Pages746
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_jambudwipapragnapti, agam_jambudwipapragnapti, agam_nirayavalika, agam_kalpavatansika, agam_pushpika, agam_pushpachulika, agam_vrushnidasha, & agam
File Size13 MB
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