________________ 1078 अनंगपविट्ठसुत्ताणि सरीरेण इमेणऽविस्सई, अविस्सई जीवियपजवेण मे" // 16 // जस्सेवमप्पा उ हविज णिच्छिओ, चइज देहं ण हु धम्मसासणं / तं तारिसं णो पइलिंति इंदिया, उविंतिवाया व सुदंसणं गिरि // 17 // इच्चेव संपस्सिय बुद्धिमं णरो, आयं उवायं विविहं वियाणिया / काएण वाया अदु माणसेणं, तिगुत्तिगुत्तो जिणवयणमहिट्ठिजासि ॥१८॥त्ति-बेमि।। इय रइक्का णामा पढमा चलिया समत्ता॥१॥ अह विवित्तचरिया णाम बीया चूलिया चूलियं तु पवक्खामि, सुयं केवलिभासियं / जं सुणित्तु सुपुण्णाणं; धन्मे उप्प. जए मई // 1 // अणुसोयपट्ठिए बहुजणम्मि, पडिसोयलद्धलक्खेणं / पडिसोयमेव अप्पा, दायब्वो होउ कामेणं // 2 // अणुसोयसुहो लोओ, पडिसोओ आसवो सुविहियाणं / अणुसोओ संसारो, पडिसोओ तस्स उत्तारो // 3 // तम्हा आयारपरकमेण, संवरसमाहिबहलेणं / चरिया गुणा य णियमा य, हुंति साहूण दट्टव्वा // 4 // अणिएयवासो समुयाणचरिया, अण्णायउंछ पइरिकया य / अप्पोवही कलहविवजणा य, विहारचरिया इसिणं पसत्था // 5 // आइण्णओमाणविवजणा य, ओसण्णदिट्ठाहडभत्तपाणे / संसट्ठकप्पेण चरिज भिक्खू , तजायसंसट्ठ जई जइजा // 6 // अमजमंसासि अमच्छरीया, अभिक्खणं णिव्विगई गया य / अभिक्खणं काउस्सग्गकारी, सज्झायजोगे पयओ हविजा // 7 // ण पडिण्णविजा सयणासणाई, सिज्ज णिसिज्ज तह भत्तपाणं / गामे कुले वा णगरे व देसे, ममत्तभावं ण कहिं पि कुजा // 8 // गिहिणो वेयावडियं ण कुजा, अभिवायणं वंदणपूयणं वा / असंकिलिटेहिं समं वसिजा, मुणी चरित्तस्स जओ ण हाणी // 9 // ण या लभेजा णिउणं सहायं, गुणाहियं वा गुणओ समं बा / इक्को वि पावाई विवजयंतो, विहरिज कामेसु असज्जमाणो // 10 // संवच्छरं वावि परं पमाणं, बीयं च वासं ण तहिं वसिजा / सुत्तस्स मग्गेण चरिज भिक्खू , सुत्तस्स अत्थो जह आणवेइ // 11 // जो पुव्वरत्तावरत्तकाले, संपेहए अप्पगमप्पएणं / “कि मे कडं ? किं च मे किच्चसेसं ? किं सक्कणिज्ज ण समायरामि ? // 12 // किं मे परो पासह किं च अप्पा, किं वाहं खलिय ण विवजयामि / इच्चेव सम्मं अणुप्रासमाणो, अणागयं णो पडिबंध कुजा // 13 // जत्थेव पासे कइ दुप्पउत्तं, कारण वाया अदु माणसेणं / तत्थेव धीरो पडिसाहरिजा, आइण्णओ खिप्पमिव खली णं