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________________ अनंगपविट्ठसुत्ताणि वा साइजइ // 61 // जे भिक्खू संपसारियं वंदइ वंदंतं वा साइजइ // 62 // जे भिक्खू संपसारियं पसंसइ पसंसंतं वा साइजह // 63 // जे भिक्खू धा(इ)ई पिंड भुंजइ भुंजंतं वा साइजइ // 64 // जे भिक्खू दूईविंडं भुंजह भुजंतं वा साइजइ // 65 // जे भिक्खू णिमित्तपिंडं भुंजइ भुंजतं वा साइजइ // 66 // जे भिक्खू आजीवियापिंडं भुंजइ भुंजंतं वा साइजइ // 67 // जे भिक्खू वणीमगपिंडं भुंजइ भुंजत वा साइजइ // 68 // जे भिक्खू तिगिच्छापिंडं भुंजइ भुंजंतं वा साइजह // 69 // जे भिक्खू को(ह)वपिंडं भुंजइ भुजंतं वा साइजइ // 70 // जे भिक्खू माणपिंड भुंनइ भुजंतं वा साइजइ // 71 // जे भिक्खू मायापिंडं भुंजइ भुंजतं वा साइजइ ॥७२॥जे भिक्खू लोभपिंड भुंजई भुंजतं वा साइजई // 73 // जे भिक्खू विजापिंड भुंजइ भुंजतं वा साइजइ // 74 // जे भिक्खू मंतपिंडं भुंजइ भुंजतं वा साइजइ // 75 // जे भिक्खू चुण्णयपिंडं भुंजइ भुंजतं वा साइजइ // 76 // जे भिक्खू अंतद्धाणपिंडं भुंजइ भुजंतं वा साइजइ // 77 // जे भिक्खू जोगपिंडं भुंजइ भुंजतं वा साइजइ। तं सेवमाणे आवजइ चाउम्मासियं परिहारट्ठाणं उग्घाइयं // 78 / / णिसीहरुज्झयणे तेरहमो उद्देसो समत्तो // 13 // चउद्दसमो उद्देसो , जे भिक्खू पडिग्गहं किणइ किणावेइ कीयमाहट्ट दिजमाणं पडिग्गाहेइ पडिग्गाहेतं वा साइजइ // 1 // जे भिक्खू पडिग्गहं पामिच्चेइ पामिच्चावेइ पामिच्चमाहट्ट दिजमाणं पडिग्गाहेइ पडिग्गाहेतं वा साइजइ // 2 // जे भिक्खू पडिगहं परियट्टे परियट्टावेइ परियट्टियमाह? दिजमाणं पडिग्गाहेइ पडिग्गाहेंतं वा साइजइ // 3 // जे भिक्खू पडिग्गहं अच्छिज्जं अणि सिटुं अभिहडमाहटु दिजमाणं पडिग्गाहेइ पडिग्गाहेंतं वा साइजइ // 4 // जे भिक्खू अइरेगपडिग्गहं गणिं उद्दिसिय गणिं समुद्दिसिय तं गणि अणापुच्छिय अणामंतिय अण्णमण्णस्स वियरइ वियरंतं वा साइजइ // 5 // जे भिक्खू भइरेगं पडिग्गहं खुड्डगस्स वा खुड्डियाए वा थेरगरस वा थेरियाए वा अहत्थच्छिण्णस्स अपायच्छिण्णस्स अणासाछिण्णस्स अकण्णच्छिण्णस्स अणोदृच्छिण्णस्स सत्तस्स देइ देंतं वा साइजइ // 6 // जे भिक्खू अइरेगं पडिग्गहं खुड्डगस्स वा खुड्डियाए वा थेरगस्स वा थेरियाए वा हत्थच्छिण्णस्स पायच्छिण्णस्स णासाछिण्णस्स कण्णच्छिण्णस्स ओट्ठच्छिण्णस्स असक्कस्स ण देइ ण देंतं वा
SR No.004389
Book TitleAnangpavittha Suttani Bio Suyakhandho
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1984
Total Pages746
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_jambudwipapragnapti, agam_jambudwipapragnapti, agam_nirayavalika, agam_kalpavatansika, agam_pushpika, agam_pushpachulika, agam_vrushnidasha, & agam
File Size13 MB
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