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________________ 970 अनंगपविट्ठसुत्तागि वडिवाए अण्णमण्णस्स दंते फूमेज्ज वा रएज वा फूमेंतं वा रएंतं वा साइजइ // 51 // जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए अण्णमण्णस्स उट्टे आमज्जेज्ज वा पमज्जेज वा आमज्जंतं वा पमजंतं वा साइज्जइ // 52 // जे भिवखू माउन्गामस्स मेहुणबडियाए अण्णमण्णरस उढे संवाहेज्ज वा पलिमद्देज्ज वा संवाहतं वा पलिमबेतं वा साइज्जइ // 53 // जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए अण्णमण्णस्स उट्टे तेल्लेण वा घएण वा वसाए वा णवणीएण वा मक्खेज्ज वा मिलिंगेज्न वा मक्खेत वा भिलिंगेत वा साइज्जइ // 54 // जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए अण्णमण्णस्स उट्टे लोद्धेण वा जाव पउमचुण्णेण वा उल्लोलेज्ज वा उन्वटेज्ज वा उल्लोलेंतं वा उव्वदे॒तं वा साइज्जइ // 55 // जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए अण्णमण्णस्स उट्टे सीऔदगवियडेण वा उसिणोदगवियडेण वा उच्छोलेज्ज वा पधोएज्ज वा उच्छोलेंतं वा पधोएंतं वा साईज्जइ // 56 // जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए अण्णमण्णस्स उढे फूमेज वा रएज वा फूमतं वा रएंतं वा साइजइ // 57 // जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए अण्.मण्णस्स दीहाइं उत्तरोहरोमाइं कप्पेज वा संठवेज वा कप्तं वा संठवेंतं वा साइज्जइ // 58 // जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए अण्णमण्णस्स दीहाई अच्छिपत्ताई कप्पेज वा संठवेज वा कप्तं वा संटवेतं वा साइजइ // 59|| जे भिक्खू माउग्गामम्स मेहुणवडियाए अण्णमण्णस्स अच्छीणि आमज्जेज वा पमज्जेज वा आमज्जंतं वा पमजंतं वा साइज्जइ // 60 // जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए अण्णमण्णस्स अच्छीणि संवाहेज वा पलिमद्देज वा संवाहतं वा पलिमद्देतं वा साइज्जइ // 61 // जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए अण्णमण्णस्स अच्छीणि तेल्लेण वा घएण वा वसाए वा णवणीएण वा मक्खेज वा भिलिंगेज वा मक्खेंतं वा भिलिंगेतं वा साइजइ // 62 // जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए अण्णमण्णस्स अच्टीणि लोद्धेण वाजाव पउमचुण्णेण वा उल्लोलेज वा उव्वट्टेज वा उल्लोलेंतं वा उव्वदे॒तं वा साइजइ ॥६३॥जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए अण्णमण्णस्स अच्छीणि सीओदगवियडेण वा उसिणोदगवियडेण वा उच्छोलेज वा पधोए ज वा उच्छोलेंतं वा पधोएंतं वा साइजइ // 64 // जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए अण्णमण्णस्स अच्छीणि फूमेज वा रएज वा फूर्मतं वा रएंतं वा साइजइ // 65 // जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए अण्णमण्णस्स दीहाई भुमगरोमाइं कप्पेज वा संठवेज वा
SR No.004389
Book TitleAnangpavittha Suttani Bio Suyakhandho
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1984
Total Pages746
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_jambudwipapragnapti, agam_jambudwipapragnapti, agam_nirayavalika, agam_kalpavatansika, agam_pushpika, agam_pushpachulika, agam_vrushnidasha, & agam
File Size13 MB
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