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________________ णिसीहसुत्तं उ. 6 भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए पिटुंतं वा सोयंतं वा पोसंतं वा उच्छोलेत्ता पधोएत्ता आलिंपेत्ता विलिंपेत्ता अभंगेत्ता मक्खेत्ता अण्णयरेणं धूवणजाएणं धूवेज वा पधूवेज वा धूतं वा पर्वतं वा साइजइ ॥१८॥जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए कसिणाई वत्थाई घरेइ धरेतं वा साइजइ / / 19 / / जे भिक्खू माउग्गामस्य मेहुणवडियाए अहयाइं वत्थाई धरेइ धरेतं वा साइजइ // 20 // जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए धोवरत्ताई वत्थाई घरेइ धरेतं वा साइज्जइ // 21 // जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए चित्ताई वत्थाई धरेइ धरेतं वा साइज्जइ // 22 // जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए विचित्ताई वत्थाई धरेइ धरेंतं वा साइजइ // 23 // जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए अप्पणो पाए आमज्जेज्ज बा पमज्जेज्ज वा आमज्जंतं. वा पमज्जंतं वा साइज्जइ // 24 // जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए अप्पणो पाए संवाहेज वा पलिमद्देज्ज वा संवाहतं वा पलिमदेतं वा साइज्जइ // 25 // जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए अप्पणो पाए तेल्लेण वा घएण वा वसाए वा णवणीएण वा मक्खेज्ज वा भिलिंगेज्ज वा मक्खेतं वा भिलिंगेतं वा साइजइ // 26 // जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए अप्पणो पाए लोहेण वा जाव पउमचुण्णेण वा उल्लोलेज्ज वा उव्वट्टेज वा उल्लोलेंतं वा उव्वदे॒तं वा साइज्जइ // 27 // जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए अप्पणो पाए सीओदगवियडेण वा उसिणोदगवियडेण वा उच्छोलेज्ज वा पधोएज्ज वा उच्छोलेंतं वा पधोएंत वा साइज्जइ // 28 // जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए अप्पणो पाए फूमेज्ज वा रएज्ज वा फूतं वा रएंतं वा साइजइ // 29 // जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाएं अप्पणो कायं आमज्जेज वा पमज्जेज्ज वा आमज्जंतं वा पमज्जतं वा साइज्जइ // 30 // जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए अप्पणो कायं संवाहेज वा पलिमद्देज वा संवाहतं वा पलिमद्देतं वा साइज्जइ // 31 // जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए अप्पणो कायं तेल्लेण वा घएण वा वसाए वा णवणीएण वा मक्खेज्ज वा भिलिंगेज्ज वा मक्खेतं वा भिलिंगेतं वा साइज्जइ // 32 // जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए अप्पणो कायं लोद्धेण वा नाव पउमचुण्णेण वा उल्लोलेज वा उव्वट्टेज वा उल्लोलेंतं वा उव्वटेंतं वा साइजइ // 33 // जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए अप्पणो कायं सीओदगवियडेण वा उसिणोदगवियडेण वा उच्छोलेज वा पधोएज वा उच्छोलेंतं वा पधोएंतं वा साइजइ
SR No.004389
Book TitleAnangpavittha Suttani Bio Suyakhandho
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1984
Total Pages746
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_jambudwipapragnapti, agam_jambudwipapragnapti, agam_nirayavalika, agam_kalpavatansika, agam_pushpika, agam_pushpachulika, agam_vrushnidasha, & agam
File Size13 MB
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