________________ 637 बिहक्कप्पसुत्तं उ० 5 णिग्गंथीए अम्बखुज्जियाए होत्तए॥३२॥ णो कप्पइ णिग्गंथीए एगपासियाए होत्तए // 33 / / णो कप्पइ णिग्गंथीणं आउंचणपट्टगं धारेत्तए वा परिहरित्तए वा // 34 // कप्पइ णिग्गंथाणं आउंचणपट्टगं धारेत्तए वा परिहरित्तए वा॥३५॥णो कप्पइ णिग्गंथीणं सावस्सयंसि आसणंसि आसइत्तए वा तुयट्टित्तए वा॥३६॥ कप्पइ णिगंथाणं सावस्सयंसि आसणंसि आसइत्तए वा तुयट्टित्तए वा॥३७॥ णो कप्पइ णिग्गंथीणं सविसाणंसि पीढंसि वा फलांसि वा आसइत्तए वा तुयट्टित्तए वा // 38|| कप्पइ णिग्गंथाणं सविसाणंसि पीढं सि वा फलगंसि वा आसइत्तए वा तुयट्टित्तए वा // 39 / / णो कप्पइ णिग्गंथीणं सवेण्टयं लाउयं धारेत्तए वा परिहरित्तए वा॥४०॥वप्पइ णिग्गंथाणं सवेण्टयं लाउयं धारेत्तए वा परिहरित्तए वा ॥४१॥णो कप्पइ णिग्गंथीणं सवेण्टयं पायकेसरियं धारेत्तए वा परिहरित्तए वा // 42 // कप्पइ णिगंथाणं सवेण्टयं पायकेसरियं धारेत्तए वा परिहरित्तए ॥४३॥णो कप्पइ णिग्गंथीणं दारुदण्डयं पायपुंछणं धारेत्तए वा परिहरित्तए वा // 44 // कप्पइ णिग्गंथाणं दारुदण्डयं पायपुंछणं धारेत्तए वा परिहरित्तए वा // 45 // णो कप्पइ णिगंथाण वा णिग्गीण वा अण्णमण्णस्स मोयं आइयत्तए वा आइमित्तए वा णण्णत्थ गाढाऽगाढेसु रोगायंकेसु // 46 / / णो कप्पइ णिग्गंथाण वा णिग्गंथीण वा पारियासियस्स आहारस्स जाव तयप्पमाणमेत्तमवि भूइप्पमाणमेत्तमवि बिंदुप्पमाणमेत्तमवि आहारमाहारेत्तए, णण्णस्थ गाढाऽगाढेहिं रोगायवे हि // 47 // णो कप्पड़ णिगंथाण वा णिग्गंथीण वा पारियासिएणं आलेषण जाएणं(गायाई)आलिम्पित्तए वा विलिम्पित्तए वा, णण्णत्थ गाढाऽगाढेहिं रोगायंकेहिं // 48 // णो कप्पइ णिग्गंथाण वाणिग्गंथीण वा पारियासिएणं तेल्लेण वा पएण वा वसाए वा णवणीएण वा गायाई अभंगेत्तए वा मक्खेत्तए वा, णण्णत्थ गाढाऽगाढेहिं रोगायंकेहिं / / 49 // (णो कम्पइ णिग्गंथाण वा णिग्गंथीण वा कक्केण वा लोरेण वा वधूवणेण वा अण्णयरेण वा आलेवणजाएणं गायाई उव्वलेत्तए वा उव्वट्टित्तए वा, णण्णत्थ गाढाऽगाढेहिं रोगायंकेहि ॥५०॥)परिहारकापट्टिए णं भिक्खू बहिया थेराणं वेयावडियाए गच्छेजा, से य आहच्च अइक्कमेजा, तं च थेरा जाणेज अप्पणो आगमेणं अण्णेसिं वा अंतिए सोचा, तओ पच्छा तस्स अहालहुसए णाम ववहारे पट्टवियव्वे सिया // 51 // णिग्गथीए य गाहावकुलं पिण्डबायपडियाए अणुप्पविट्ठाए अण्णयरे पुलागभत्ते पडिग्गाहिए सिया, सा य संथरेजा,कप्पइ से तद्दिवसं तेणेव भत्तंटेणं परजोसवेत्तए णो से कप्पइ दोच्चं पि गाहावइकुलं पिण्डवाय पडियाए पवि सित्तए; सा य णो