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________________ 912 भनंगपविट्ठसुत्तागि णायए सिया सागारियस्स अभिणिव्वगडाए अभिणिदुवाराए अभिणिक्खमणपवेसाए सागारियस्स एगवयू सागारियं च उवजीवइ, तम्हा दावए, णो से कप्पइ पडिगाहेत्तए // 257|| सागारियणायए सिया सागारियस्स अभिणिवगडाए अभिणिदुवाराए अभिणिक्खमणपवेसाए सागारियस्स अभिणिवयू सागारियं च उवजीवइ, तम्हा दावए, णो से कप्पइ पडिगाहेत्तए // 258 // ] सत्तसत्तमिया णं भिक्खुपडिमा एगूणपण्णाए राइंदिएहिं एगेण छण्णउएणं भिक्खाससएणं अहासुत्तं अहाकप्पं अहामग्गं अहातच्चं सम्मं कारणं फासिया पालिया सोहिया तारिया किट्टिया आणाए अणुपालिया भवइ // 259 // अट्ठअट्ठमिया णं भिक्खुपडिमा चउसट्ठीए राइंदिए हिं दोहि य अट्ठासीएहिं भिक्खासएहिं अहासुत्तं अहाकप्पं अहामग्गं अहातच्चं सम्म कारणं फासिया पालिया सोहिया तीरिया किट्टिया आणाए अणुपालिया भवइ // 260 // णवणवमिया णं भिक्खुपडिमा एगासीए राइदिएहिं चउहि य पंचुत्तरेहिं भिक्खासएहिं अहासुत्तं अहाकप्पं अहामग्गं अहातच्चं सम्मं काएणं फासिया पालिया सोहिया तीरिया किट्टिया आणाए अणुपालिया भवइ // 261 // दसदसमिया णं भिवखुपडिमा एगेणं राइंदियसएणं अद्धछठेहि य भिक्खासएहिं अहासुत्तं अहाकप्पं अहामग्गं अहातच्चं सम्मं कारणं फासिया पालिया सोहिया तीरिया किट्टिया आणाए अणुपालिया भवइ // 262 // दो पडिमाओ पण्णत्ताओ, तंजहा'खुड्डिया वा(चेव) मोयपडिमा महल्लिया वा मोयपडिमा, खुड्डियण्णं मोयपडिम पडिवण्णस्स अणगारस्स कप्पइ पढमसरयकालसमयंसि वा चरिमणिदाहकालसमयंसि वा बहिया गामस्स वा जाव रायहाणीए वा वणंसि वा वणदुग्गंसि वा पन्वयंसि वा पव्वयदुग्गंसि वा, भोच्चा आरुभइ चोदसमेणं पारेइ,अभोच्चा आरुभइ सोलसमेणं पारेइ, जाए जाए मोए आइयव्वे, दिया आगच्छइ आइयत्वे राइ आगच्छइ णो आइयत्वे, सपाणे मत्ते आगच्छइ णो आइयव्वे अप्पाणे मत्ते आगच्छइ आइयव्वे, सबीए मत्ते आगच्छइ णो आइयत्वे अबीए मत्ते आगच्छइ आइयव्वे, ससणिद्धे मत्ते आगच्छइ णो आइयव्वे अससणिद्धे मत्ते आगच्छइ आइयग्वे, ससरक्खे मत्ते आगच्छइ णो आइयव्वे अससरवखे मत्ते आगच्छइ आइयव्वे, जाए जाए मोए आइयत्वे तंजहा-अप्पे वा बहुए वा / एवं खलु एसा खुड्डिया मोयपडिमा अहासुत्तं नाव अणुपालिया भवइ // 263 // महल्लियण्णं मोयपडिमं पडिवण्णस्स अणगारस्स कम्पइ से पढमसरयकालसमयं सि वा चरिमणिदाहकालसमयंसि वा बहिया गामस्स वा जाव रायहांणीए वा वणंसि वा
SR No.004389
Book TitleAnangpavittha Suttani Bio Suyakhandho
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1984
Total Pages746
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_jambudwipapragnapti, agam_jambudwipapragnapti, agam_nirayavalika, agam_kalpavatansika, agam_pushpika, agam_pushpachulika, agam_vrushnidasha, & agam
File Size13 MB
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