SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 146
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 737 . जंबुद्दीवपण्णत्ती व. 7 दिवा वणिज राओ विट्ठी पंचमीए दिवा बवं राओ बालवं छट्ठीए दिवा कोलवं राओ थीविलोयणं सत्तमीए दिवा गराइ राओ वणिजं अट्ठमीए दिवा विट्ठी राओ बवं णवमीए दिवा बालवं राओ कोलवं दसमीए दिवा थीविलोयणं राओ गराइ एक्कारसीए दिवा वणिज राओ विट्ठी बारसीए दिवा बवं राओ बालवं तेरसीए दिवा कोलवं राओ थीविलोयणं चउद्दसीए दिवा गराइकरणं राओ वणिजं पुण्णिमाए दिवा विट्ठीकरणं राओ बवं करणं भवइ, बहुलपक्खस्स पडिवाए दिवा बालवं राओ कोलवं बिइयाए दिवा थीविलोयणं राओ गराइ तइयाए दिवा वणिज राओ विट्ठी चउत्थीए दिवा बवं राओ बालवं पंचमीए दिवा कोलवं राओ थीविलोयणं मुट्ठीए दिवा गराइ राओ वणिज सत्तमीए दिवा विट्ठी राओ बवं अट्ठमीए दिवा बालवं राओ कोलवं णवमीए दिवा थीविलोयणं राओ गराइ दसमीए दिवा वणिज राओ विट्ठी एक्कारसीए दिवा बवं राओ बालवं बारसीए दिवा कोलवं राओ थीविलोयणं तेरसीए दिवा गराइ राओ वणिज चउद्दसीए दिवा विट्ठी राओ सउणी अमावासाए दिवा चउप्पयं राओ णागं सुक्कपक्खस्स पाडिवए दिवा किंथुग्धं करणं भवइ // 153 // किमाइया णं भंते ! संवच्छरा किमाइया अयणा किमाइया उऊ किमाइया मासा किमाइया पवखा किमाइया अहोरत्ता किमाइया मुहुत्ता किमाइया करणा किमाइया णक्खत्ता पण्णत्ता ? गोयमा! चंदाइया संवच्छरा दक्खिणाइया अयणा पाउसाइया उऊ सावणाइया मासा बहुलाइया पक्खा दिवसाइया अहोरत्ता रोद्दाइया मुहुत्ता बालवाइया करणा अभिजियाइया णक्खत्ता पण्णत्ता समणाउसो ! इति / पंचसंवच्छरिए गं भंते ! जुगे केवइया अयणा केवइया उऊ एवं मासा पक्खा अहोरत्ता केवइया मुहुत्ता पण्णत्ता ? गोयमा ! पंचसंवच्छरिए णं जुगे दस अयणा तीसं उऊ सट्ठी मासा एगे वीसुत्तरे पक्खसए अट्ठारसतीसा अहोरत्तसया चउप्पण्णं मुहुत्तसहस्सा णव सया पण्णत्ता॥१५४॥ गाहा-जोगा 1 देवय 2 तारग्ग 3 गोत्त 4 संठाण 5 चंदरविजोगा 6 / कुल 7 पुण्णिम अमवस्सा य 8 सण्णिवाए 9 य णेया य 10 // 1 // कइ णं भंते ! णखत्ता प०१ गोयमा! अट्ठावीसं णक्खत्ता प०,०-अभिई 1 सवणो 2 धणिट्ठा 3 सयभिसया 4 पुव्वभद्दवया 5 उत्तरभद्दवया 6 रेवई 7 अस्सिणी 8 भरणी 9 कत्तिया 10 रोहिणी 11 मियसिर 12 अद्दा 13 पुणव्वसू 14 पूसो 15 अस्सेसा 16 मघा 17 पुव्वफग्गुणी 18 उत्तरफग्गुणी 19 हत्थो 20 चित्ता 21 साई 22 विसाहा 23 अणुराहा 24 जेट्टा 24 मूलं 26 पुव्वासादा 27 उत्तरासाढा 28 इति // 155 // एएसि णं भंते ! अट्ठावीसाए णवत्ताणं कयरे णक्खत्ता
SR No.004389
Book TitleAnangpavittha Suttani Bio Suyakhandho
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1984
Total Pages746
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_jambudwipapragnapti, agam_jambudwipapragnapti, agam_nirayavalika, agam_kalpavatansika, agam_pushpika, agam_pushpachulika, agam_vrushnidasha, & agam
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy