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________________ - अनंगपविट्ठसुत्ताणि वामं जाणु अंचेइ अंचेत्ता दाहिणं जाणु धरणितलंसि णिहट्ट तिक्खुत्तो मुद्धाणं घरणितलंसि णिवाडेइ णिवाडेत्ता ईसिं पच्चुण्णमइ पच्चुण्णमित्ता. करयलपरिग्गहियं सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं कटु एवं वयासी-गमोऽन्थुणं अरिहंताणं जाव संपत्ताणं वंदइ णमंसइ वंदित्ता णमंसित्ता जेणेव देवच्छंदए जेणेव सिद्धायतणस्स बहुमज्झदेसभाए तेणेव उवागच्छइ 2 त्ता लोमहत्थगं परामुसइ सिद्धायतणस्स बहुमज्झदेसभागं लोमहत्थेणं पमजइ दिव्वाए दगधाराए अब्भुक्खेइ सरसेणं गोसीसचंदणेणं पंचंगुलितलं मंडलगं आलिहहत्ता कयग्गाहगहियं जाव पुंजोवयारकलियं करेइ 2 त्ता धूर्व दलयइ जेणेव सिद्धायतणस्स दाहिणिल्ले दारे तेणेय उवागच्छइ लोमहत्थगं परामुसइ दार.डीओ य सालभंजियाओ य वालरूवए. य लोमहत्थएणं पमजइ दिव्वाए दगधाराए अभुक्खेइ सरसेणं गोसीसचंदणेणं चच्चए दलयइ 2 त्ता पुप्फारुहणं मल्ला० जाव आभरणारहणं करेइ 2 त्ता आसत्तोसत्त० जाव धूवं दलयइ जेणेव दाहिणिल्ले दारे मुहमंडवे जेणेव दाहिणिल्लस्स मुहमंडवस्स बहुमज्झदेसभाए तेणेव उवागच्छइ लोमहत्थगं परामुसइ बहुमज्झदेसभागं लोमहत्थेणं पमजइ दिव्वाए दगधाराए अब्भुक्खेइ सरसेणं गोसीसचंदणेणं पंचगुलितलं मंडलगं आलिहइ कयग्गाहगहिय जावधूवं दलयइ जेणेव दाहिणिल्लस्स मुहमंडवस्स पञ्चत्थिमिल्ले दारे तेणेव उवागच्छइ लोमहत्थगं परामुसइ दारचेडीओ य साल भंजियाओ य वालरूवए य लोमहत्थेणं पमजइ दिव्वाए दगधाराए• सरसेणं गोसीसचंदणेणं चच्चए दलयइ पुप्फारुहणं जाव आभरणारुहणं करेइ आसत्तोसत्त० कयगाहगहिय० धूवं दलयइ जेणेव दाहिणिल्लमुहमंडवस्स उत्तरिल्ला खंभपंती तेणेव उवागच्छइ लोमहत्थं परामुसइ थंभे य सालभंजियाओ य वालरूवए य लोमहत्थएणं पमजइ जहा चेव पच्चथिमिल्लस्स दारस्स जाव धूवं दलयद जेणेव दाहिणिल्लस्स मुहमंडवस्स पुरथिमिले दारे तेणेव उवागच्छइ लोमहत्थगं परामुसइ दारचेडीओ तं चेव सव्वं जेणेव दाहिणिलस्स मुहमंडवस्स दाहिणिले दारे तेणेव उवागच्छइ दारचेडीओ य तं चेव सव्वं जेणेव दाहिणिल्ले पेच्छाघरमंडवे जेणेव दाहिणिल्लरस पेच्छाघरमंडवस्स बहुमज्झदेसभाए जेणेव वइरामए अवखाडए जेणेव मणिपेढिया जेणेव सीहासणे तेणेव उवागच्छइ लोमहत्थगं परामुसइ अक्खाडगं च मणिपेढियं च सीहासणं च लोमहत्थएणं पमजइ दिव्वाए दगधाराए सरसेणं गोसीसचंदणेणं चच्चए दलयइ पुप्फारुहणं आसत्तोसत्त जाव धूवं दलयइ जेणेवं दाहिणिल्लस्स
SR No.004388
Book TitleAnangpavittha Suttani Padhamo Suyakhandho
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1984
Total Pages608
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_aupapatik, agam_rajprashniya, agam_jivajivabhigam, & agam_pragyapana
File Size11 MB
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