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________________ पणवीसइमं कम्मबंधवेयपयं कइ णं भंते ! कम्मपगडीओ पण्णत्ताओ ? गोयमा! अट्ठ कम्मपगडीओ पण्णासाओ। तंजहा-णाणावरणिजं जाव अंतराइयं, एवं रक्ष्याणं जाव वेमाणियाणं / नीवे णं भंते ! णाणावरणिज कम्मं बंधमाणे कइ कम्मपगडीओ वेएइ ? गोयमा ! णियमा अट्ठ कम्मपगडीओ वेएइ / एवं णेरइए जाव वेमागिए, एवं पुहुत्तेण वि / एवं वेयणिजवजं जाव अंतराइयं / जीवे णं भंते ! वेयणिजं कम्मं बंधमाण कर कम्मपगडीओ वेएइ ? गोयमा! सत्तविहवेयए वा अविहवेयए वा चउविहवेयए वा, एवं मणूसे वि / सेसा णेरइयाई एगत्तेणं पुहुत्तेण विणियमा अट्ठ कम्मपगडीओ वेदेति जाव वेमाणिया / जीवा णं भंते ! वेयणिजं कम्मं बंधमाणा कइ कम्मपगडीओ वेदेति 1 गोयमा ! सव्वे वि ताव होजा अट्ठविहवेदगा य चउव्विवेदगा य 1, अहवा अट्ठविहवेदगा य च उव्विवेदगा य सत्तविहवेदए य 2, अहवा अट्ठविह. वेदगा य चउव्विहवेदगा य सत्तविहवेदगा य 3, एवं मणूमा विभाणियव्या // 637|| / पण्णवणाए भगवईए पणवीस इमं कम्मबंधवेयपयं समत्तं / / छव्वीसइमं कम्मवेयबंधपयं कइ णं भंते ! कम्मपगडीओ पण्णत्ताओ ! गोयमा ! अट्ठ कम्मपगडीओ पण्णत्ताओ। तंजहा-णाणावरणिजं जाव अंतराइयं / एवं रइयाणं जाव वेमाणियाणं / जीवे णं भंते ! णाणावरणिजं कम्मं वेयमाणे कई कम्मपगडीओ बंधइ ? गोयमा ! सत्तविहबंधए वा अट्ठविहबंधए वा छविहबंधए वा एगविहबंधए वा। णरइए णं भंते! णाणावरणिजं कम्मं वेयमाणे कइ कम्मपगडीओ बंधइ ? गोयमा ! सत्तविहबंधए वा अट्टविहबंधए वा, एवं जाव वेमाणिए, एवं मणूसे जहा जीवे / जीवा णं भंते! णाणावरणिजं कम्मं वेएमाणा कइ कम्मपगडीओ बंधंति ! गोयमा ! सव्वे वि ताव होजा सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधगा य 1, अहवा सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधगा य छव्विहबंधए यं 2, अहवा सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधगा य छविहांधगा य 3, अहवा सत्तविहबंधगा य अहविहबंधगा य एगविहबंधए य 4, अहवा सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधगा य एगविहबंधगा य 5, अहया सत्तविहबंधगा य अट्टविहबंधगा य छव्विहबंधए य एगविहबंधए य 6 अहवा सत्तविहबंधना य अट्टविह
SR No.004388
Book TitleAnangpavittha Suttani Padhamo Suyakhandho
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1984
Total Pages608
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_aupapatik, agam_rajprashniya, agam_jivajivabhigam, & agam_pragyapana
File Size11 MB
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