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________________ अनंगपविटुसुत्ताणि मायावत्तिया किरिया कजइ, अपञ्चखाणकिरिया सिय फ.जइ, सिय णो कजइ, मिच्छादसणवत्तिया किरिया णो कजह / मणूमस्स जहा जीवस्स / वाणमंतरजोइसियवेमाणियाणं जहा णेरइयस्स / / 596 // एयासि णं भंते ! आरंभियाणं जाव मिच्छादंसणवत्तियाण य कयरे कयरेहितो अप्पा वा 4 ! गोयमा ! सव्वत्थोवाओ मिच्छादंसणवत्तियाओ किरियाओ,अपच्चक्खाणकिरियाओ विसेसाहियाओ.परिग्गहियाओ० विसेसाहियाओ, आरंभियाओ किरियाओ विसेसाहियाओ, माया त्तियाओ० विसेसाहियाओ / / 597|| पण्णवणाए भगवईए बावीसइमं किरियापयं समत्तं / / तेवीसइमं कम्मपगडिपयं-पढमो उद्देसओ कह पगडी कह बंधइ कइहि वि ठाणेहिं बंधए जीवो / कइ वेएइ य पयडी अणुभावो कइविहो कस्स // कइ | भंते ! कम्मपगडीओ पणत्ताओ ! गोयमा ! अट्ठ कम्मपगडीओ पणत्ताओ / तंजहा–णाणावरणिज 1, दंसणावरणिजं 2, वेयणिनं 3, मोहणिजं 4, आउयं 5, णामं 6, गोयं 7, अंतराइयं 8 / जेरइयाणं भंते ! कइ कम्मपगडीओ पण्णत्ताओ ? गोयमा! एवं चेव, एवं जाव वेमाणियाणं 1 // 598 // कहं गं भंते ! जीवे अट्ठ कम्मपगडीओ बंधइ ? गोयमा! णाणावरणिजस्स कम्मस्स उदएणं दरिसणावरणिजं कम्म णियच्छइ, दंसणावरणिजस्स कम्मरस उदएणं दंसगमोहणिजं कम्मं णियच्छइ, दंसणमोहणि जस्स कम्मस्स उदएणं मिच्छत्तं णियच्छइ, मिच्छत्तेणं उदिएणं गोयमा! एवं खलु जीवो अट्ट कम्मपगडीओ बंधइ / कहं णं भंते ! णेरइए अट्ठ कम्मपगडीओ बंधइ ? गोयमा ! एवं चेव, एवं जाव वेमाणिए / कहणं भंते ! जीवा अट्ठ कम्मपगडीओ बंधति ? गोयमा! एवं चेव, एवं जाव वेमाणिया // 599 / / जीवे णं भंते ! णाणावरणिज कम्मं कहहिं ठाणेहि बंधइ ? गोयमा ! दोहिं ठाणेहिं, तंजहा-रागेण य दोसेण य / रागे दुविहे पणत्ते। तंजहा-माया य लोभे य / दोसे दुविहे पण्णत्ते / तंजहा-कोहे य माणे य, इच्चे. एहिं चउहिं ठाणेहिं विरओवग्गहिएहिं एवं खलु जीवे णाणावरणिजं कम्मं बंधइ, एवं णेरइए जाव वेमाणिए / जीवा णं भंते ! णाणावरणिजं कम्मं कहहिं ठाणेहि बंधति ? गोयमा ! दोहिं ठाणेहिं एवं चेव, एवं णेरइया जाव वेमाणिया / एवं
SR No.004388
Book TitleAnangpavittha Suttani Padhamo Suyakhandho
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1984
Total Pages608
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_aupapatik, agam_rajprashniya, agam_jivajivabhigam, & agam_pragyapana
File Size11 MB
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