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________________ 514 अनंगपविटुसुत्ताणि पुच्छा / गोयमा ! जहणणेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं दो सागरोवमाई पलिओवमासंखिजइभागमभहियाइं / पम्हलेसे णं पुच्छा। गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुहत्तं, उक्कोसेणं दम सागरोवमाइं अंतोमुत्तममहियाई / सुक्कलेसे णं पुच्छा / गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाइं अंतोमुहुत्तमब्भहियाई / अलेसे णं पुच्छा। गोयमा ! साइए अपजवसिए / दारं 8 // 540 // सम्मट्टिी णं भंते ! सम्मद्दिट्टित्ति कालओ केवच्चिरं होइ ? गोयमा! सम्मपिट्ठी दुविहे पण्णत्ते / तंजहा-साइए वा अपजवसिए, साइए वा सपन्जवसिए / तत्थ णं जे से साइए सपजव सिए से जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं छावहि सागरोवमाइं साइरेगाई। मिच्छादिट्ठी णं भंते ! पुच्छा / गोयमा ! मिच्छादिट्ठी तिविहे पण्णत्ते / तंजहा-अणाइए वा अपजवसिए, अणाइए वा सपजवसिए, साइए वा सपजवसिए / तत्थ णं जे से साइए सपजवसिए से जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं अणंतं कालं, अणंताओ उस्सप्पिणिओसप्पिणीओ कालओ, खेत्तओ अवढे पोग्गलपरियट्ट देसूणं / सम्मामिच्छादिट्ठीणं पुच्छा |गोयमा! जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं अंतोमुहुत्तं // दारं ९॥५४१॥णाणी ण भंते ! णाणित्ति कालओ केवच्चिरं होइ ? गोयमा ! णाणी दुविहे पण्णत्ते / तंजहासाइए वा अपजवसिए, साइए वा सपजवसिए / तत्थ णं में से साइए सपजवसिए से जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं छावटैि सागरोवमाइं साइरेगाई / आभिणिबोहियणाणी णं पुच्छा गोयमा ! एवं चेव, एवं सुयणाणी वि, ओहिणाणी वि एवं चेव, णवरं जहण्णेणं एगं समयं / मणपजवणाणी णं भंते ! मणपजवणाणित्ति कालओ केवच्चिरं होइ ? गोयमा ! जहणणेणं एगं समयं, उक्कोसेणं देसूणा पुवकोडी / केवलणाणी णं पुच्छा / गोयमा ! साइए अपजवसिए / अण्णाणी मइअण्णाणी सुयअण्णाणी पुच्छा। गोयमा! अण्णाणी, मइअण्णाणी, सुयअण्णाणी तिविहे पण्णत्त / तंजहा-अणाइए वा अपजवसिए, अणाइए वा सपजवसिए, साइए वा सपज्जवसिए / तत्थ णं जे से साइए सपजवसिए से जहण्णेणं अंतोमुहत्तं, उक्कोसेणं अणंतं कालं, अणंताओ उस्सप्पिणिओसप्पिणीओ कालओ, खेत्तओ अवडपोग्गलपरियटै देसूर्ण / विभंगणाणी णं भंते ! पुच्छा / गोयमा ! जहण्णेणं एगं समयं, उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाई देसूणाए पुव्वकोडीए अमहियाई // दारं 10 // 532 // चवखुदंसणी णं भंते ! पुच्छा। गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुहत्तं, उक्कोसेणं सागरोंवमसहस्सं साइरेगं / अचखुदसणी णं भंते ! अचक्खुदंसणित्ति कालओ० 1 गोयमा ! अचक्खु
SR No.004388
Book TitleAnangpavittha Suttani Padhamo Suyakhandho
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1984
Total Pages608
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_aupapatik, agam_rajprashniya, agam_jivajivabhigam, & agam_pragyapana
File Size11 MB
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