________________ 500 अनंगपविट्ठसुत्ताणि बेइंदियतेइंदियचउरिदिया वि भाणियव्वा। से गूणं भंते ! कण्हलेसे जाव सुक्कलेसे पंचेंदियतिरिक्खजोणिए कण्हलेसेसु जाव सुक्कलेसेसु पंचेंदियतिरिक्खजोणिएसु उववजइ पुच्छा / हंता गोयमा! कण्हलेसे जाव सुक्कलेसे पंचेंदियतिरिक्खजोणिए कण्ह. लेसेसु जाव सुक्कलेसेसु पंचेंदियतिरिक्खजोणिएसु उववजइ, सिय कण्हलेसे उववट्टइ जाव सिय सुक्कलेसे उववट्टइ, सिय जल्लेसे उववजह तल्लेसे उववट्टइ / एवं मणूसे वि / वाणमंतरा जहा असुरकुमारा / जोइसियवेमाणिया वि एवं चेव, णवरं जस्स जल्लेसा / दोण्ह वि 'चयणं ति भाणियव्यं // 502 // कण्हलेसे णं भंते ! णेरइए कण्हलेसं णेरइयं पणिहाए ओहिणा सव्वओ समंता समभिलोएमाणे 2 केवइयं खेत्तं जाणइ, केवइयं खेत्तं पासइ ? गोयमा ! णो बहुयं खेत्तं जाणइ, णो बहुयं खेत्तं पासइ, णो दूरं खेत्तं जाणइ, णो दूर खेत्तं पासइ, इत्तरियमेव खेत्तं जाणइ, इत्तरियमेव खेत्तं पासइ / से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ-'कण्हलेसे णं णेरइए तं चेव जाव इत्तरियमेव खेत्तं पासई' 1 गोयमा ! से जहाणामए केइ पुरिसे बहसमरमणिजंसि भूमिभागंसि ठिच्चा सव्वओ समंता समभिलोएजा, तए णं से पुरिसे धरणितलगयं पुरिसं पणिहाए सव्वओ समंता समभिलोएमाणे 2 णो बहुयं खेत्तं जाव पासह जाव इत्तरियमेव खेत्तं पासइ, से तेणटेणं गोथमा! एवं वुच्चइ-'कण्हलेसे णं णेरइए जाव इत्तरियमेव खेत्तं पासई' / णीललेसे गं भंते ! णेरइए कण्हलेसं णेरइयं पणिहाय ओहिणा सव्वओ समंता सममिलोएमाणे 2 केवइयं खेत्तं जाणइ, केवइयं खेत्तं पासइ ? गोयमा ! बहुतरागं खेत्तं जाणइ, बहुतरागं खेत्तं पासइ, दूरतरं खेत्तं जाणइ, दूरतरं खेत्तं पासइ, वितिमिरतरागं खेत्तं जाणइ, वितिमिरतरागं खेतं पासइ, विसुद्धतरागं खेत्तं जाणइ, विसुद्धतरागं खेत्तं पासइ / से केपट्टेणं भंते ! एवं वुच्चइ-'णीललेसे णं णेरइए कण्हलेसं णेरइयं पणिहाय जाव विसुद्धतरागं खेत्तं जाणइ, विसुद्धतरागं खेत्तं पासइ' 1 गोयमा ! से जहाणामए केइ पुरिसे बहुसमरमणिजाओ भूमिभागाओ पव्वयं दुरुहइ दुरूहित्ता सव्वओ समंता समभिलोएजा, तए णं से पुरिसे धरणितलगयं पुरिसं पणिहाय सव्वओ समंता समभिलोएमाणे 2 बहुतरागं खेत्तं जाणइ जाव विसुद्धतरागं खेत्तं पासइ, से तेणटेणं गोयमा ! एवं बुच्चइ-'गीललेसे णेरइए कण्हलेसं जाव विसुद्धतरागं खेत्तं पासई' / काउलेस्से णं भंते! णेरइए णीललेस्सं णेरइयं पणिहाय ओहिणा सव्वओ समंता सममिलोएमाणे 2 केवइयं खेत्तं जाणइ० पासइ ? गोयमा ! बहुतरागं खेत्तं जाणइ० पासइ जाव विसुद्धतरागं खेत्तं