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________________ 494 अनंगपविट्ठसुत्ताणि तेउलेस्सा संखेजगुणा, अलेस्सा अणंतगुणा, काउलेस्सा अणतगुणा, णीललेस्सा विसेसाहिया, कण्हलेस्सा विसेसाहिया, सलेस्सा विसेसाहिया // 488 // एए सि णं भंते ! णेरइयाणं कण्हलेसाणं णीललेसाणं काउलेसाण य कयरे कयरेहितो अप्पा वा 4 1 गोयमा ! सव्वत्थोवा णेरइया कण्हलेसा, णीललेसा असंखेजगुणा, काउलेसा असंखेजगुणा / एएसि णं भंते ! तिरिक्खजोणियाणं कण्हलेस्साणं जाव सुक्कलेसाण य कयरे कयरेहितो अप्पा वा 4 1 गोयमा ! सव्वत्थोवा तिरिक्खजोणिया सुक्कलेसा, एवं जहा ओहिया णवरं अलेसवजा। एएसिणं भंते! एगिदियाणं कण्हलेस्साणं णीललेस्साणं काउलेस्साणं तेउलेस्साण य कयरे कयरेहितो अप्पा वा 4 1 गोयमा ! सव्वत्थोवा एगिदिया तेउलेस्सा, काउलेस्सा अणंतगुणा, णीललेस्सा विसेसाहिया, कण्हलेस्सा विसेसाहिया / एएसि णं भंते ! पुद विकाइयाणं कण्हलेस्साणं जाव तेउलेस्साण य कयरे कयरेहितो अप्पा वा 4 ? गोयमा! जहा ओहिया एगिदिया, णवरं काउलेस्सा असंखेजगुणा / एवं आउकाइयाण वि / एएसि णं भंते ! तेउकाइयाणं कण्हलेस्साणं णीललेस्साणं काउलेस्साण य कयरे कयरेहितो अप्पा वा 4 1 गोयमा ! सव्वत्थोवा तेउकाइया काउलेस्सा, णीललेस्सा विसेसाहिया, कण्हलेस्सा विसेसाहिया, एवं वाउकाइयाण वि / एएसिणं भंते!वास्सइकाइयाणं कण्हलेस्साणं जाव तेउलेस्साण य जहा एगिंदियओहियाणं / बेइंदियाणं तेइंदियाणं चउरिदियाणं जहा तेउकाइयाणं // 489 // एएसि णं भंते ! पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं कण्हलेस्साणं एवं जाव सुक्कलेसाण य कयरे कयरेहितो अप्पा वा 4 1 गोयमा! जहा ओहियाणं तिरिक्खजोणियाणं, णवरं काउलेसा असंखेजगुणा / संमुच्छिमपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं जहा तेउकाइयाणं / गब्भवकंतियपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं जहा ओहियाणं तिरिक्खजोणियाणं, णवरं काउलेसा संखेजगुणा, एवं तिरिक्खजोणिणीण वि / एएसि णं भंते ! समुच्छिमपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं गमवक्कंतियपंचें दियतिरिक्खजोणियाण य कण्हलेस्साणं जाव सुक्कलेस्साण य कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा 4 ? गोयमा! सव्वत्थोवा गब्भवकंतियपंचेंदियतिरिक्खजोणिया सुक्कलेस्सा, पम्हलेस्सा संखेजगुणा, तेउलेस्सा संखेजगुणा, काउलेस्सा संखेजगुणा, णीललेस्सा विसेसाहिया, कण्हलेस्सा विसेसाहिया,काउलेस्सा समुच्छिमपंचेदियतिरिक्खजोणिया असंखेजगुणा, णीललेस्सा विसेसाहिया, कण्हलेस्सा विसेसाहिया। एएसि णं भंते ! संमुच्छिमपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं तिरिक्खजोणिणीण य कण्हलेसाणं जाव सुक्कलेसाण य कयरे कयरेहितो
SR No.004388
Book TitleAnangpavittha Suttani Padhamo Suyakhandho
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1984
Total Pages608
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_aupapatik, agam_rajprashniya, agam_jivajivabhigam, & agam_pragyapana
File Size11 MB
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